ऐबकस के मेधावी छात्रों को पुरस्कार दिए गए


"ब्रेनीऐक जिम" में लगातार अभ्यास से बच्चों के दिमाग का सर्वांगीण विकास होता है जिससे न सिर्फ गणित में अपितु अन्य विषयों में भी स्मरण शक्ति का विकास होता है। दिमाग के विकास से ही भविष्य में बच्चे डॉक्टर,इंजीनियर व अन्य क्षेत्रों में अपनेआप को स्थापित कर के अपने माँ-बाप के सपनों को पूरा कर सकते हैं।


नई दिल्ली,राजौरी गार्डन सरस्वती बाल मंदिर स्कूल के ऑडिटोरीयम में "ब्रेनीऐक जिम" मोती नगर  (अकैडमी ऑफ ऐबकस ) आर्य समाज मंदिर के सौजन्य से  ऐबकस के मेधावी छात्रों को पुरस्कार वितरण समारोह का कार्यक्रम अति उत्साहपूर्वक वातावरण में संम्पन्न हुआ।


"ब्रेनीऐक जिम" मोती नगर  (अकैडमी ऑफ ऐबकस )के संयोजक सुखप्रीत सिंह ने बताया कि यह एक विशेष कला है जो सिखायी जाती है, जिसमें बच्चे बड़ी से बड़ी संख्या का गुणा-भाग,जोड-घटा ,परसेंटेज, LCM, HCF आदि कुछ ही सेकेंडों में ही बिना कलम कागज़ पर लिखे मन ही मन में कर लेते है।अकादमी की मुख्य शिक्षिका दशमीत कौर ने बताया कि अकादमी में ऐबकस के साथ शतरंज,क्यूब, हैंडराइटिंग की भी प्रैक्टिस करवाई जाती है।"ब्रेनीऐक जिम" के चार बच्चों का नाम लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स में दर्ज है।पुरस्कार वितरण समारोह में चैम्बर ऑफ़ ट्रेड एंड इंडस्ट्रीज़ के उपाध्यक्ष सन्दीप भारद्वाज मुख्य अतिथि के तौर पर उपस्थित थे।"ब्रेनीऐक जिम" के बच्चों को सन्दीप भारद्वाज व वीरेंद्र बब्बर के हाथों से मेडल और सर्टिफिकेट देकर सम्मानित किया गया।


सन्दीप भारद्वाज ने बताया कि मंच पर बच्चों द्वारा बड़ी से बड़ी संख्या की गुणा-घटा-भाग,परसेंटेज कुछ ही सेकंड में हल करने की कला को देख कर आश्चर्य चकित हैं।भारद्वाज जी ने कहा कि असल में हमारे दिमाग में कुदरत की तरफ से 100% की चिप मौजूद है लेकिन हम अपने दिमाग की 5% मेमोरी ही इस्तेमाल कर पाते हैं।पूर्व ने हमारे ऋषि मुनियों ने साधना और ज्ञान के द्वारा ही खगोलीय ग्रहों की दिशा,गति,स्थान ,संख्या इत्यादि की जो गणना की वह आज वैज्ञानिक जांच में भी प्रामाणिक है,इसका अर्थ है कि उस समय दिमाग की चिप का उपयोग ज्यादा होता था।


 


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