मोदी सरकार संविधान विरोधी क़ानून को फौरन वापस ले : रईस अहमद
पश्चिमी दिल्ली के सभी धर्मों के लोगों ने मिलकर केन्द्र की मोदी सरकार द्वारा संसद से नागरिकता संशोधन बिल CAB को पास करके बनाये गये नागरिकता क़ानून के विरोध में पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी डाबडी स्थित अम्बेडकर चौक पर एक विशाल धरना प्रदर्शन किया गया। जिसमें दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग सलाहकार समिति सदस्य रईस अहमद ने खासतौर से शिरकत की।
इस मौक़े पर मीडिया से बात करते हुये रईस अहमद ने इसे काला क़ानून क़रार दिया और कहा कि यह काला क़ानून ना सिर्फ भारतीय नागरिकों के खिलाफ है बल्कि संविधान की मूल भावना के भी खिलाफ है। जोकि संविधान के आर्टिकल 14 में प्राप्त क़ानूनी समानता के मौलिक अधिकार का सीधे तौर पर हनन है। क़ानून की नज़र में सभी नागरिक एक समान है जिनसे धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता। लिहाज़ा केन्द्र की मोदी सरकार को इसे फौरन वापस लेना चाहिये। अगर यह काला क़ानून वापस नहीं लिया जाता है तो जिस तरह इस बिल के विरोध में राष्ट्रव्यापी अन्दोलन हो रहे है ये और बढ़ते जायेंगे। उन्होनें असम में विरोध प्रदर्शन में मारे गये लोगों के लिय दुख प्रकट किया और देशभर में इस काले क़ानून का विरोध करते हुये घायल लोगों की मदद करने का आवाह्न किया। साथ ही कहा की लोगों की ये क़ुर्बानिया बेकार नहीं जायेंगी। हम उन लोगों के साथ हमेशा खड़े हैं।
चाणक्य प्लेस से शुरु होकर जनकपुरी डाबडी के अम्बेडकर चौक पहुंचे इस विरोध प्रदर्शन में खासतौर से समाजिक कार्यकर्ता अख्लाक़ अहमद खान, मौहम्मद इक़्बाल, अज़ीज़ुर रहमान, रीना मेहरा, संजय पुरी, नाज़िमा शेरवानी, लेखक व पत्रकार इरफ़ान राही,आरिफ जमाल, पूर्व सैन्य अधिकारी मौहम्मद इज़राइल के अलावा काफी संख्या में लोगों ने पहुचकर मोदी सरकार के खिलाफ नारेबज़ी की।
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