अरविन्द केजरीवाल प्योर पॉलिटिशियन है उन्हें बीजेपी और कांग्रेस से कहीं बेहतर तरीके से सत्ता हासिल करने की कला आती है


लेखक - आरिफ़ जमाल 


खुद को कुछ बड़े राजनैतिक ज्ञानी समझने वाले लोग सोशल मीडिया पर अरविन्द केजरीवाल वाली दिल्ली सरकार को लेकर बड़ी बड़ी हांक रहे हैं कि केजरीवाल यह है वह है । 8 फ़रवरी 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले तक अरविन्द केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी की माला जपने वालों को अब केजरीवाल में 72 ऐब क्यों नज़र आ रहे हैं । मेरी राय में ऐसे लोगों के पास न राजनैतिक समझ है और न ही सामाजिक सूझ बूझ ।। बस ऐसे लोगों को रायता फैलाना खूब आता है । ऐसे लोगों के लिए मेरा कहना है कि तुम लोग भेड़ हो और भेड़ ही रहोगे ।।


अरविन्द केजरीवाल प्योर पॉलिटिशियन है उन्हें बीजेपी और कांग्रेस से कहीं बेहतर तरीके से सत्ता हासिल करने की कला आती है ।। अगर ऐसा नहीं है तो दिल्ली जैसे महानगर और भारत की राजधानी दिल्ली में जिस आसानी से उसने 2,2 बार पूर्ण बहुमत की सरकार कैसे बना ली ।। साल 2015 में दिल्ली विधानसभा सभा की 70 सीटों में से 67 हासिल कर ली, जबकि आम आदमी पार्टी या अरविंद केजरीवाल का कोई दिल्ली के निर्माण या विकास में कोई योगदान नहीं था । अब 2020 के विधानसभा चुनाव की बात कर लेते है ।


दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने बीते पांच सालों में अपनी सरकार का दिल्ली वालों के सामने किसी निर्माण,विकास,बेरोजगारी, महंगाई का खाका पेश नहीं किया और न ही भविष्य की किसी योजना के नाम पर दिल्ली वालों से वोट मांगा ।। केजरीवाल और उनकी पार्टी ने पूरी दिल्ली को सिर्फ बीस हजार लीटर मासिक पानी फ्री,दो सौ यूनिट बिजली फ्री और डीटीसी बस में महिलाओं को फ्री बस यात्रा के नाम पर जमकर प्रचार किया और दिल्ली के बड़े पैमाने पर वोटरों को अपने पक्ष में करने में सफल हुए और 62 सीटों पर जबरदस्त जीत हासिल कर फिर से दिल्ली की सत्ता पर काबिज़ हो गए ।


अब फ़रवरी महीने में दिल्ली में जमकर तीन दिन तक दंगें हुए और जान माल का खूब नुकसान हुआ ।। केजरीवाल सरकार की भूमिका और खामोशी पर दिल्ली का एक बड़ा वर्ग आम आदमी पार्टी वाली अरविंद केजरीवाल सरकार से खफा हो रहा है ।। अब यह वर्ग मानता है कि केजरीवाल को और उसकी आम आदमी पार्टी को वोट और सपोर्ट कर के गलती की है ,उसे लगता है कि अरविन्द केजरीवाल और आम आदमी पार्टी ने अघोषित रूप से मोदी सरकार और भर्ती जनता पार्टी के साथ गठबंधन कर लिया है  वालों को ठग लिया है।  अब अगर केजरीवाल सरकार मोदी सरकार से अघोषित रूप से कोई समझौता या गठबंधन कर भी लेती है तो उसमें बुराई क्या है। राजनीति में सब जायज़ है खफ़ा होते हो तो हो जाओ क्या कर लोगे ?? 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर