निन्दा - चुगली में लिप्त दिखता इंसान


बिहार पुलिस एसोसिएशन अध्यक्ष मृत्युंजय कुमार सिंह


आज दुनिया के बाज़ार में कुछ चुग़लों के कारण मुस्कराते इंसान की जब जेब टटोलेंगे तो शायद उसका रुमाल गीला मिलेगा।आज समाज में दूसरों की निंदा करना, दोष ढूंढते रहना मानवीय स्वभाव का एक बड़ा अवगुण कुछ इंसान में देखने को मिल रहा है ।संसार में प्रत्येक इंसान की रचना ईश्वर ने अच्छे उद्देश्य से की है।हमें ईश्वर की किसी भी रचना का मखौल उड़ाने का अधिकार नहीं है। इसलिए कही भी किसी की निंदा करना साक्षात ईश्वर की निंदा करने के समान है।दूसरों में दोष निकालना और खुद को श्रेष्ठ बताना कुछ लोगों का स्वभाव होता है।


इस तरह के लोग हमें कहीं भी आसानी से मिल जाएंगे।चुगली करने वाला व्यक्ति दो तरफा बोलता है, वह ऐसा किसी व्यक्ति को समाज में नीचा दिखाने के लिए करता है,जिसका मुख्य कारण है, ईर्ष्या और जलन।कई बार मेरे आँखों के सामने हूवा है की किसी व्यक्ति की साथ बैठा व्यक्ति ख़ुद निंदा और आलोचना कर रहा था अचानक वह व्यक्ति वहाँ पहुँचता है निंदा करने वाला व्यक्ति उसका अच्छे शब्दों से स्वागत करता है और उसकी प्रशंसा करता है।हमें मंद मद मुस्कान और निंदा करने वाले व्यक्ति पर आश्चर्य होता है।दुनिया में किसी की आलोचना से कोई खुद के अहंकार को कुछ समय के लिए संतुष्ट कर सकते हैं किन्तु किसी की काबिलियत, नेकी, अच्छाई और सच्चाई की संपदा को नष्ट नहीं कर सकता है। जो सूर्य की तरह प्रखर है, उस पर निंदा के कितने ही काले बादल छा जाएं किन्तु उसकी प्रखरता, तेजस्विता और ऊष्णता में कमी नहीं आ सकती।चुगली करने वाला व्यक्ति हमेशा दूसरों की कमियाँ खोजता है जब की इस दुनिया में बिना कमी का कोई इंसान नही है।


बहुत लोग स्वयं की कमी मूल्याँकन नही नही करते है।चुग़ली समाज में दो व्यक्तियों के बीच लड़ाई या मनमुटाव का कारण बनता है।परन्तु वह यह नहीं जानता कि ऐसा करने से समाज में उसकी स्वयं की बदनामी होती है और वह समाज की नज़रों से भी गिर जाता है।उसका परिणाम एक दिन उसे स्वयं भुगतना पड़ेगा।एक कहानी आप सभी को बताता हु:- एक राजा ब्राह्मणों को लंगर में महल के आँगन में भोजन करा रहा था।राजा का रसोईया खुले आँगन में भोजन पका रहा था।उसी समय एक चील अपने पंजे में एक जिंदा साँप को लेकर राजा के महल के उपर से गुजरी।तब पँजों में दबे साँप ने अपनी आत्म-रक्षा में चील से बचने के लिए अपने फन से ज़हर निकाला।


तब रसोईया जो लंगर ब्राह्मणो के लिए पका रहा था, उस लंगर में साँप के मुख से निकली जहर की कुछ बूँदें खाने में गिर गई।किसी को कुछ पता नहीं चला।फल-स्वरूप वह ब्राह्मण जो भोजन करने आये थे उन सब की जहरीला खाना खाते ही मौत हो गयी।अब जब राजा को सारे ब्राह्मणों की मृत्यु का पता चला तो ब्रह्म-हत्या होने से उसे बहुत दुख हुआ।ऐसे में अब ऊपर बैठे यमराज के लिए भी यह फैसला लेना मुश्किल हो गया कि इस पाप-कर्म का फल किसके खाते में जायेगा ? राजा जिसको पता ही नहीं था कि खाना जहरीला हो गया है या रसोईया जिसको पता ही नहीं था कि खाना बनाते समय वह जहरीला हो गया है या वह चील जो जहरीला साँप लिए राजा के उपर से गुजरी या वह साँप जिसने अपनी आत्म-रक्षा में ज़हर निकाला बहुत दिनों तक यह मामला यमराज की फाईल में अटका रहा।फिर कुछ समय बाद कुछ ब्राह्मण राजा से मिलने उस राज्य मे आए और उन्होंने किसी महिला से महल का रास्ता पूछा ।उस महिला ने महल का रास्ता तो बता दिया पर रास्ता बताने के साथ-साथ ब्राह्मणों से ये भी कह दिया कि "देखो भाई जरा ध्यान रखना वह राजा आप जैसे ब्राह्मणों को खाने में जहर देकर मार देता है ।


"बस जैसे ही उस महिला ने ये शब्द कहे, उसी समय यमराज ने फैसला ले लिया कि उन मृत ब्राह्मणों की मृत्यु के पाप का फल इस महिला के खाते में जाएगा और इसे उस पाप का फल भुगतना होगा ।यमराज के दूतों ने पूछा - प्रभु ऐसा क्यों जब कि उन मृत ब्राह्मणों की हत्या में उस महिला की कोई भूमिका भी नहीं थी ।तब यमराज ने कहा - कि भाई देखो, जब कोई व्यक्ति पाप करता हैं तब उसे बड़ा आनन्द मिलता हैं । पर उन मृत ब्राह्मणों की हत्या से ना तो राजा को आनंद मिला ना ही उस रसोइया को आनंद मिला ना ही उस साँप को आनंद मिला और ना ही उस चील को आनंद मिला।पर उस पाप-कर्म की घटना का बुराई करने के भाव से बखान कर उस महिला को जरूर आनन्द मिला । इसलिये राजा के उस अनजाने पाप-कर्म का फल अब इस महिला के खाते में जायेगा।बस इसी घटना के तहत आज तक जब भी कोई व्यक्ति जब किसी दूसरे के पाप-कर्म का बखान बुरे भाव से करता हैं तब उस व्यक्ति के पापों का हिस्सा उस बुराई करने वाले के खाते में भी डाल दिया जाता हैं।


दुनिया में हर इंसान अक्सर सोचते हैं कि  हमने जीवन में ऐसा कोई पाप नहीं किया, फिर भी हमारे जीवन में इतना कष्ट क्यों आया?। ये कष्ट और कहीं से नहीं, बल्कि लोगों की साज़िश- बुराई करने के कारण उनके पाप-कर्मो से आया होता हैं जो बुराई करते ही हमारे खाते में आ जाता हैं।चुगली करने वाले व्यक्ति पर कभी कोई व्यक्ति विश्वास नहीं करता।उन्हें लगता है कि जो व्यक्ति आज उनके सामने किसी और व्यक्ति की चुगली कर रहा है, वो कल से उनकी चुगली कहीं ओर जाकर करेगा।चुगली करने वाले व्यक्ति के मन में चुगली के साथ-साथ झूठ बोलना, बुराई करना, मतभेद करवाना, निंदा करना आदि अनेको बुरी आदतें भी जन्म ले लेती है।इससे वह इन सब से बच नहीं पाता और समय के साथ- साथ अपना अस्तित्व खो बैठता है।कईं बार छोटी सी चुगली, एक बड़े फसाद की जड़ बन जाती है|


जिससे रिश्तों में दरार बन जाती है और कई घर बर्बाद हो जाते है।इसी कारण से चुगली को कौनप्रसिद्द ग्रंथों में बहुत बड़ा गुनाह माना गया है।इसके साथ ही चुगली करने वाले व्यक्ति से सर्वथा दूर रहने और उसकी बात पर विश्वास नहीं करने की बात भी कही गई है। चुगली करने की इस आदत को शीघ्र समाप्त कर लिया जाए तो यह आपके और आपके परिवार या समाज दोनों के लिए लाभकारी होगा| अन्यथा यह आदत बढ़कर इतनी अधिक हो जाएगी कि इसपर नियंत्रण करना आपके वश में नहीं होगा।एक सफल व्यक्ति वह है जो दूसरों द्वारा अपने ऊपर फेंकी गई ईंटों से एक मजबूत नींव बना सके।बोलने से पहले शब्द मनुष्य के वश में होते हैं लेकिन बोलने के बाद मनुष्य शब्दों के वश में हो जाता है ।अंत में कहूँगा ताकत चुग़ली में नहीं अपने विचारों में रखो क्योंकि फ़सल बारिश से होती है बाढ़ में नहीं होती है।चुग़ली करने वालों आप जीवन में जितना मन वाणी से पवित्र रहीएगा उतना भगवान के करीब रहीएगा क्योंकि सदैव पवित्रता में ही भगवान का वास होता है।


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