PCOD/PCOS से पाए छुटकारा इन घरेलु नुस्खों के साथ : डॉ. चंचल शर्मा

नई दिल्ली: इस भाग दौड़ भरी ज़िन्दगी लोग न वक़्त पर खाना कहते है, न पूरी नींद ले पा रहे है, यहाँ तक की खुद के लिए भी समय निकलना मुश्किल हो जाता है और जब बात महिलाओं की आती  है तो स्थिति और भी बिगड़ जाती है, दिन भर ऑफिस के काम रहना और फिर शाम को घर लौट कर घर काम करना, बच्चों का ख्याल रखना। आज के समय में हर पाँच में से एक महिला पीसीओडी/पीसीओएस से ग्रस्त है, महिलाएं शुरुवात में होने वाले लक्षणों को नज़रअंदाज़ करती है। जिससे उम्र बढ़ते-बढ़ते यह लक्षण पीसीओडी/पीसीओएस में परिवर्तित हो जाती है।



पॉली सिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) या पॉली सिस्टिक ओवरी डिसऑर्डर (PCOD) एक ऐसी मेडिकल कंडिशन है, जिसमें आमतौर पर रिप्रोडक्टिव उम्र की महिलाओं में हॉर्मोनस के असंतुलन (hormonal imbalance) पाया जाता है। इसमें महिला के शरीर में male हॉरमोन – 'Androgen' – का लेवल बढ़ जाता है व ओवरीज पर एक से ज्यादा सिस्ट हो जाते हैं।
● यह समस्या आनुवांशिक रूप से भी हो सकती है और ज्यादा वज़न होने पर भी इसके होने की संभावना बढ़ जाती है। ज़्यादा तनाव भरी जिंदगी भी इसका एक मुख्य कारण हो सकती है। यह समस्या 13-40  की महिला एवं बच्चियों में भी पाई जाती है।
PCOD/ PCOS के लक्षण:1. अनियमित मासिक धर्म2. बालों का झड़ना  3. शरीर और चेहरे पर ज़्यादा हेयर ग्रोथ4. पेडू में दर्द 5. मुंहासे  6. सिर दर्द7. नींद की समस्याएं और मूड स्विंग आदि शामिल हैं 8. वज़न बढ़ना आदि।


आज हम डॉ. चंचल शर्मा, आशा आयुर्वेदा के साथ जानेंगे पीसीओडी/पीसीओएस से बचाव के कुछ आयुर्वेदिक नुस्खे:
1. योगा ● प्राणायाम: जब आप नियमित रूप से प्राणायाम करते है तो आप अपनी प्राण वायु का संचालन शरीर के सभी हिस्सों में करते है और शरीर में ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा रहती है।  ● कपालभाति: यह चयापचय प्रक्रिया को बढ़ाता है और वज़न कम करने में मदद करता है। नाड़ियों का शुद्धिकरण करता है। पेट की मासपेशियों को सक्रिय करता है, पाचन क्रिया को अच्छा करता है और पोषक तत्वों का शरीर में संचरण करता है। मस्तिष्क और तांत्रिक तंत्र को ऊर्जान्वित करता है। ● सूर्य नमस्कार: सूर्य नमस्कार करने से शरीर के हर हिस्से को फायदा होता है रोज़ाना पिछले दिन से एक बार अधिक दोहराए और जब आप बारहवीं बार तक पहुँच जाये तो रोज़ाना 12 बार दोहराएं।   ● शवासन: रात को सोने के समय 2 से 3 मिनट तक शवासन करें जिससे आपको तनाव से मुक्ति होगी और नींद अच्छी आएगी।
 
2. व्यायाम: रोज़ाना कम से कम आधे घंटे सैर करें जिससे आपका शरीर सक्रिय रहता है, और मूड भी अच्छा रहता है।
3. एक साथ दो काम न करें: एक समय में एक ही काम करें अथवा जब एक काम ख़त्म हो जाए तभी दूसरा काम करें जिससे आपके शरीर के सेल्स नियमित रूप से काम करेंगे। 4. डाइट: आपको हरी सब्ज़ियाँ और देसी गाय के दूध का सेवन करना चाहिए जिससे आपके शरीर में आयरन और कैल्शियम की कमी पूरी होगी।  5. गर्म पानी: पूरा दिन गर्म पानी या गुनगुने पानी का सेवन करें। फ्रिज की ठंडी चीजों का सेवन करने से बचें!    6. भोजन का समय: बहुत से लोगो की आदत होती है दिन में थोड़ा-2 भोजन खाते रहने की लेकिन आयुर्वेद के मुताबिक पहले का खाना जब तक अच्छे से पच न जाए तब तक दोबारा खाना न खाएं। इस प्रक्रिया का पालन करने से आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहेगा।   7. घर के खाने का ही सेवन करें: हमेशा घर के खाने का ही सेवन करें क्योंकि घर का खाना पूरी तरह से साफ़ सफाई को ध्यान में रखकर बनाया जाता है।


8. बाहर के खाने का त्याग करें: बाहर का चाइनीज़, इटैलियन खाना न खाएं क्योंकि यह सब मैदा से बना होता है और मैदा चिपचिपा होता है और आँतों में चिपकता है। 9. मौसमी फलों का सेवन करें: भोजन में दूध का सेवन ज़रूर करें और तरबूज, खरबूजा, लीची आदि जैसे मौसमी फलों का सेवन करें जिससे आपके शरीर में विटामिन सी की कमी पूरी हो, बेमौसमी फलों को खाने से बचे। 10. घी का सेवन करें: रोज़ाना सुबह खली पेट एक चम्मच घी का सेवन करें जो की आपके पूरे शरीर के लिए लाभदायक होता है।   11. नाभि पूरण: नाभि को तिल, सरसो या नारियल के तेल से पूरण करें जिससे आपका पूरा एब्डोमिनल एरिया अच्छे से काम करेगा, तिल तेल की मालिश कर नहायें जिससे आपके शरीर की वायु नियमित रहेगी। मासिक धर्म के दौरान पेट के निचले हिस्से पर तिल तेल की मालिश करे जिससे बहाव ठीक रहेगा। इन सभी नुस्खों का पालन करे और अगर इसके बाद भी आप पीसीओडी/पीसीओएस के लक्षण नज़र आते है तो अपने नज़दीकी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लें।


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