प्रेम की परिभाषा
परिणीता सिन्हा
क्या है प्रेम ? क्या हो उसकी सटीक परिभाषा ? एक वो जो शिशु की आँखो से झलकता ၊
या वो जो वृद्ध की आँखो से टपकता ၊ यौवन प्रेम की सैकड़े। परिभाषाएं ग़ढता ၊
लेकिन ,सच्चा प्रेम कभी शेष पड़े भोजन का सॉझापन दिखाता ၊ तेा कभी कम बजट की साड़ी में भी संतोष जताता ၊
वो जो बस एक नजर से ही पीड़ा को भांप जाता , ढाढस बँधाता ၊ धैर्य नहीं खोना , साथ मिल कर हर भार है ढोना ၊
हर शाम जिसके आने के इंतजार में कटती ၊ जिसके स्वाद के लिए वो पूरी दिनचर्या बुनती၊
कभी कभी जीवन के क्रम में कई बाते निकलती ၊ कुछ उलझती तो कुछ सुलझती ၊
वो जो एक दूसरे से थे बिल्कुल अनजान ၊ उनसे हो जाती वर्षो की पहचान ၊
मंडप के फेरो के इर्द-गिर्द वो जीवन भर घूमती ၊ गठबंधन की ये गांठ , प्रेम की अदभुत परिभाषा गढ़ती ၊
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