कान्हा तेरी प्रीत मेंं
सुषमा भंडारी
कान्हा तेरी प्रीत मेंं
डूबी ऐसी
कन्हाई तेरी प्रीत में
खूबी ऐसी
बिसर गई खुद से
संवर गई खुद से
ओ मेरे घनश्याम----
तू ही मेरा गहना
भोले भाले
हां तुझ संग रहना
तू सम्भाले
ओ मेरे घनश्याम -----
नैनों में तू ही
है बिहारी
हाँ देखे दुनिया
देखे सारी
ओ मेरे घनश्याम ------
तुम स्ंग गाउँ
प्रीत के गाने
आई हूं तुझ से
रीत निभाने
ओ मेरे घनश्याम------
कोई न दूजा
तुमसा दीखे
कह रहे नैना
भीजे भीजे
ओ मेरे घनश्याम ---
मैं तुझमें तू मुझमें दीखे
मोर पंख हैँ सौत सरीखे
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चाँद सा मुखडा देख के तेरा
शरमाउँ घबराउँ
उज्ज्वल- उज्ज्वल है जग तुझसे
सब को मैं समझाऊँ
1) कभी त्रिपुरारी कभी तू बिहारी
और कभी सुन्दर- नारी
माटी के कण-कण में नीहित
गोवर्धन बनवारी
ऐसी बांकी छवि देख कर
वारी वारी जाउँ
शरमाउँ घबराउँ -------
2) कभी बन जाउँ तेरी मुरलिया
कभी गैया कभी शक्ति
शेषनाग बनूँ कभी मैं डमरू
करूं मैं तेरी भक्ति
तेरी जटाओं में जीवन पा
पावन मैं कहलाउँ
गंगा नाम कहाऊँ
शरमाउँ घबराउँ
3) हे विश्वेस्वर हे नटेश्वर
हे भोले भंडारी
अदिशक्ति तू ,तू बिन्देशवर है
तू माहेश्वर नारी
अद्भुत रूप त्रिकाल देवता
मैं शरण तुम्हारी पाउँ
शरमाउँ घबराउँ
चाँद सा मुखड़ा देख के तेरा
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मुरली मधुर बजाना
श्याम बिहारी यमुना तट पे
मुरली मधुर बजाना
युगों- युगों से प्यासा मनवा
मेरी प्यास बुझाना
मेरी प्यास बुझाना
श्याम बिहारी यमुना तट पे
मुरली मधुर बजाना
मुरली मधुर बजाना
दरस दीवानी मीरा रानी
पी गई जहर का प्याला
मैं भी तो इस युग की मीरा
पीती नित नित हाला
पीती नित नित हाला
श्याम बिहारी यमुना तट पे
मुरली मधुर बजाना
मुरली मधुर बजाना
चीर हरण तो रोज ही होता
कहां छिपे हो कान्हा
नारी होने का बतलाओ
कब तक सुनूं मैं ताना
कब तक सुनूं मैं ताना
श्याम बिहारी यमुना तट पे
मुरली मधुर बजाना
मुरली मधुर बजाना
सुषमा भंडारी
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