ख़ामोशी ( कहानी )


सुषमा भंडारी


राजीव ने घर के  क्लेश से बचने के लिए गुस्से में गाड़ी निकाली स्टार्ट की और अनजानी दिशा में चल दिया ! देहरादून के पहाड़ी इलाके में वैसे ही ऊँचे नीचे खतरनाक रास्ते है और इधर राजीव के नशे में धुत्त गुस्से में न जाने क्या होगा?? तभी अचानक सड़क पर शायद  पानी व् गड्डे की वजह से गाड़ी एक तेज धमाके के साथ रुकी !


स्टीयरिंग से सर लगा राजीव का और उसका मस्तिष्क दस वर्ष पीछे चला गया, ख़ामोशी,ख़ामोशी बस ख़ामोशी छा गयी चारों ओर! इधर देखने वालों के होश उड़ गए,बड़ा जबरदस्त एक्सीडेंट था,धमाका इतनी तेज़ था कि आस-पास बस्ती के जितने भी लोग थे सब इक्कठा हो गए,आपस में यहीं बातें कर रहे थे कि जो भी हैं वो बच जाये! कुछ समय पश्चात पुलिस व् एम्बुलेंस सायें-सायें करती हुई बड़ी फुर्ती से आई,अपना काम किया,एम्बुलेंस राजीव को अस्पताल लेकर रवाना हुयी और पुलिस अपनी तफ्तीश में लग गयी! तभी एक व्यक्ति आया और पुलिस का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करते हुए बोला - हाँ साब,मेरा नाम रामदीन हैं! मैंने देखा गाडी बड़ी स्पीड से आ रही थी शायद साब नशे में थे! क्या आप जानते हैं कौन हैं ये? हाँ साब में जानता हूँ,में गाडी पहचान गया था! यहाँ शहर से दूर-दरांज इलाके में इक्के-दुक्के लोग ही हैं जो इतनी महंगी गाडी रखते हैं और राजीव साब के घर में तो मैं बावर्ची रहा हूँ! 


अच्छा,,,,, आओ हमारे साथ थाने चलो, कहते हुए पुलिस ने रामदीन को जीप में बैठाया! एक्सीडेंट के स्थान व् टूटी-फूटी चीजों का अच्छे से मुआयना  कर लिया गया था! थानेमें रामदीन के बयान से ज्ञात हुआ राजीव शहर की जानी पहचानी हस्ती हैं,अच्छे-अच्छे व्यापारियों में नाम लिया जाता है राजीव का मगर राज़ की बात ये थी जो सामने आई कि राजीव का अपनी पत्नी से हमेशा झगडा रहता था! पुलिस ने बयान लेकर रामदीन को छोड़ दिया! इधर अस्पताल के आई,सी,यु, में डॉक्टर्स जी-जान से लगे हुए थे राजीव को होश में लाने के लिए! पुलिस के माध्यम से उन्हें मालूम हो गया था कि वह बड़ा बिजनेसमैन हैं!


इस बीच राजीव के घर ट्रिन -ट्रिन,ट्रिन -ट्रिन  फ़ोन की घंटियाँ लगातार बज रही थी परंतु कोई जवाब नहीं मिल रहा था, तभी पुलिस की गाडी राजीव के दरवाजे पर आके रुकी! अरे,ये क्या दरवाजा खुला था, घर का सामान ज्यूँ का त्यूं था "रेहाना" कहीं नजर नहीं आ रही थी! रेहाना, राजीव की पत्नी हैं,जिससे राजीव ने माता-पिता से झगड़ कर कोर्ट-मैरिज की थी! रेहाना का कही अता-पता नहीं चल रहा था! रामदीन व् अन्य पड़ोसियों द्वारा मालूम हुआ कि इनके दो बच्चे भी हैं जो "डून पब्लिक स्कूल" में पढ़ते हैं और हॉस्टल में ही रहते हैं! घर की विपरीत परिस्थितियों की वजह से पांच वर्ष का नन्हा रोहन और सात वर्ष की अदिति हॉस्टल में ही रहते थे !


खैर तफ्तीश के पश्चात घर को सील कर दिया गया और पुलिस की एक टीम रेहाना की तलाश में जुट गयी! पूरा शहर,गाँव,क़स्बा,बस्ती सब पुलिस सायरन की सायं-सायं से गुंजायमान था! एक पुलिस स्टेशन से दुसरे,दुसरे से तीसरे में टेलीफोन की घंटियाँ बज रही थी मगर रेहाना का अब तक कुछ पता न चला था! दूसरी तरफ बारह घंटे बीत चुके थे डॉक्टर्स की टीम राजीव के मस्तिष्क के साथ जी-तोड़ मेहनत कर रहे थे,खून के थक्के जम गए थे ऑपरेशन करना पड़ा अन्यथा उसकी जान जा सकती थी!


डॉक्टर्स को शक था की सर में चोट लगने की वजह से वह सब कुछ भूल गया हैं,दुसरे शब्दों में उसकी याददाश्त चली गयी हैं! किन्तु यह कोई नहीं जानता था कि राजीव को सब कुछ याद है और वो उन बीतें पलों को अपनी ख़ामोशी में जी रहा हैं,जब उसने माता-पिता के खिलाफ जाकर रेहाना से शादी की,वह कितना खुश था जब वह क्लर्क और रेहाना टाइपिस्ट थी मगर शादी के बाद रेहाना की मांगों,इछ्चाओ,उम्मीदों का विस्तार होता गया ! राजीव इ नौकरी छोड़ दी और बिज़नस की दोड़ में शामिल हो गया,पीछे मुड कर नहीं देखा,रेहाना ने भी नौकरी छोड़ दी ! अब पैसों की कोई कमी नहीं थी सिर्फ समय नहीं था राजीव के पास,और इसी बात को लेकर तकरार होती रहती थी !


राजीव की आँखों से आसूं बह रहे थे,उसकी जीने की इच्छा शायद मर चुकी थी,उसने जान-बुझ कर ख़ामोशी ओढ़ ली थी! अचानक जोरो से राजीव कांपने लगा,राजीव की बिगडती हालत देखकर नर्स चिल्लाई - डॉ Valentino.. डॉ Valentino.. डॉ Valentino.


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