हिन्दी को पाठ्यक्रम में दसवीं तक अनिवार्य करने की अपील
नयी दिल्ली - हिन्दी दिवस के सुअवसर पर स्वाबलंबन ट्रस्ट साहित्यिक प्रकोष्ठ (स्वावलंबन" शब्द सार") द्वारा ऑनलाइन काव्य गोष्ठी आयोजित की गयी | गोष्ठी का शुभारंभ राष्ट्रीय संयोजिका परिणीता सिन्हा द्वारा दीप प्रज्वलन एवम माँ सरस्वती के माल्यार्पण के साथ किया गया | लता सिन्हा द्वारा माँ सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की गई | कार्यक्रम में मुख्य अतिथि स्वरूप डा० विष्णु सक्सेना की उपस्थिति रही,उन्होने हिन्दी में कार्य करने और हिन्दी को प्रसारित करने के कई उपाय सुझाए ၊
कार्यक्रम की अध्यक्षता मेघना श्रीवास्तव राष्ट्रीय अध्यक्षा(स्वाबलंबन ट्रस्ट) द्वारा की गई,उन्होने हिन्दी को पाठ्यक्रम में दसवीं तक अनिवार्य करने की अपील की | परिणीता सिन्हा द्वारा सम्मानित मंच एवं समस्त साहित्यकारों का स्वागत किया गया ၊ कार्यक्रम में सुरेखा शर्मा नें हिन्दी की महत्ता को जन -मानस तक प्रसारित करने पर बल दिया | हरियाणा प्रांत संयोजिका कमल धमीजा एवम् राष्ट्रीय सह - संयोजिका भावना सक्सेना द्वारा कुशल मंच संचालन किया गया। आमंत्रित कलमकारों ने अपनी रचनाओं से हिंदी दिवस को सार्थकता प्रदान की और हिन्दी की बारीकियों को सुगमता से समझाया |
इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष अतुल श्रीवास्तव ,राष्ट्रीय संयोजिका सांस्कृतिक प्रकोष्ठ ममता श्रीवास्तव ,उर्वशी सक्सेना आदि पदाधिकारियों की सहभागिता रही राष्ट्रीय अध्यक्षा मेघना श्रीवास्तव ने सफल गोष्ठी की बधाई देते हुए स्वावलंबन ट्रस्ट की गतिविधियों के विषय में भी बताया। मुख्य अतिथि शकुंतला मित्तल ने सफल गोष्ठी की हार्दिक बधाई देते हुए स्वावलंबन के प्रयासों की सराहना की तथा उसके उज्जवल भविष्य की कामना की। कार्यक्रम के अंत में मेघना श्रीवास्तव राष्ट्रीय अध्यक्षा (स्वाबलंबन ट्रस्ट) नें सभी उपस्थित जनों का धन्यवाद किया तथा भविष्य में इसी प्रकार के सहयोग की आशा जताई।
कलमकारों द्वारा पठित रचनाओं के कुछ अंश:
परिणीता सिन्हा
'हिन्दीं है भाषा हिन्दुस्तान की , नहीं क्षोभ करे हिन्दीभाषी होने में,
है ईश्वर ! प्रदत्त अमृत हमें ,जो हम बोले हिन्दी वाणी में |"
शालिनी तनेजा
"सम्मान यदि हो गैरों का भी ;सुसंस्कार कहलाता है
पर हो यदि केवल गैरों का अपनों को लज्जित करवाता है|"
लता सिन्हा ज्योतिर्मय
"पश्चिम की होड़ में खड़े हम ;हिन्दी से ही दूर क्यूं
अंग्रेज़ों के कोड़े भुला ,अंग्रेज़ी पे मगरूर क्यूं.?"
भावना सक्सैना -
"हिन्द की भाषा नहीं बसहिंदी अक्षय वट बनी
विश्व भर में फैलकर होती नित शाखें घनी।"
सुरेखा शर्मा
"हिंदुस्तान है देश हमारा हिंदी इसकी शान है
संस्कृत की ये प्यारी बेटी हम सब की पहचान है।"
कमल धमीजा
"हिन्दी को मेरा शत शत नमन है
यह गंगा सी पावन करूँ आचमन है|"
स्मिता मिश्रा
"मैं हिंदी हूँ जूँबाँ पे सब की रहूँ
गर्व से इतराती फिरूँ|"
स्वीटी सिंघल
'हिंदी हमारी मातृभाषा है, राष्ट्रभाषा है, जनभाषा है!
फिर क्यूँ हिंदी के क्षेत्र में इतनी निराशा है?"
सीमा सिंह
'ग्रहण है मुस्कान पर"
चंचल ढींगरा
"अंग्रेजी की खिटपिट मे हैलो हाय की टिक टिक मे
हिंदी हुई बेगानी हैभरती यहाँ ये पानी है|"
रचना निर्मल
"आज हिंदी दिवस है समस्या बड़ी विकट है,
हमें इस से प्यार हैबीवी लड़ने को तैयार है|"
मोना सहाय
"दुखी मन को दे सुकून थोड़ा
इस जीवन में कौन तेरा? "
अभिलाषा विनय-
"प्राण सलिला, वाकसलिला, छंद, लय संगीत धारी।
मातृभाषा हृदय झंकृत, वंदना करती तुम्हारी।।
"निवेदिता सिन्हा
हिन्द की बेटी है हिन्दी
है भारत माँ के माथे की बिन्दी
जुली सहाय
हिन्द देश की प्यारी हिंदी
गुम होती सी क्यों प्रतीत होती
शकुंतला मित्तल
"अंग्रेजी मृगतृष्णा बन चलती
भूल जाते निज भाषा अनुराग।"
डा० विष्णु सक्सेना
"तुम्हें खून कहाँ से दूँ ?नीम यथार्थ को
,प्यार और आदर का परिवेश कहाँ से दूँ "
दर्शिनी प्रिया
"मैं आम आदमी हूँ ,
कुएँ की मुन्डेर से
खेतों की मेड़ तक"
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