कविता // मासूम की सर्च
शालिनी तनेजा
एक दिन बच्चा बोला माँ से
चलो पापा को सर्च करें
डॉट कॉम पर मिलते पापा
अमेजॉन भी ऑफर दे
जिसने सुना हँसी आ गई
मां का ह्रदय चीत्कार करें
क्यों ढूंढे बच्चा पापा को
इस पर भी कुछ गौर करें
ताने -बाने जब उलझें रिश्तों के
भाव गौण हो जाते हैं
खून के रिश्ते भी जाने क्यों ?
अक्सर मौन हो जाते हैं
मातृत्व भाव रख सबसे ऊपर
नारी सब कुछ सह जाती है
अहम पुरुष का पर जाने क्यों?
सबसे ऊपर हो जाता है
दरकें, रिश्तों के शीशे जब
टुकड़े चहुॅ और बिखरते हैं
सबसे ज्यादा मासूमों को
लहूलुहान वो करते हैं
गर उस पल में, जब टूटे "रिश्ता "
प्यार"बड़ा"अहम" से हो जाएगा
कोई मासूम ना अपनी माँ से
पापा को सर्च कराएगा
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