कविता // शिक्षक दिवस : बिन शिक्षा जीवन है अधूरा



सुषमा भंडारी 


बिन शिक्षा जीवन है अधूरा
जाने ये संसार
शिक्षा दीप जलायें आओ
मिट जाये अंधियार------


शिक्षक दीप की बाती है
जो जलकर भी मुस्काय
शिक्षित हो गर ये समाज तो
मुश्किल कभी न आय
शिक्षक का सम्मान ही होता
शिक्षा का सम्मान 
शिक्षक को सम्मानित करके
खुद भी पायें मान 
बिन शिक्षा जीवन है अधूरा
जाने ये संसार
शिक्षा दीप जलायें आओ 
मिट जाये अंधियार------


आओ शिक्षक दिवस मनायें 
खुशियों से भरपूर
डॉ राधाकृष्नण बच्चों
ऐसे थे कोहिनूर
5 सितम्बर जन्मोत्सव है
शिक्षा का सम्मान
शिक्षक की मुस्कान ही होती
शिक्षा का उत्थान
बिन शिक्षा जीवन है अधूरा
जाने ये संसार
शिक्षा दीप जलायें आओ 
मिट जाये अंधियार-----


संवाहक हिन्दु संस्कृति के
शिक्षाविद प्रख्यात
आस्थावान और हिन्दुविचारक
दुनिया में विख्यात
भारतरत्न का मान मिला जब
शिक्षक हुये निहाल
राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति पद 
पाये बेमिसाल
बिन शिक्षा जीवन है अधूरा
जाने ये संसार
शिक्षा दीप जलायें आओ 
मिट जाये अंधियार।


गीत 
आओ हम हिंदी में बाँटें 
सुख- दुख और व्यवहार
सचमुच जीवन को मिल पाये
इक अनुपम उपहार।


सब भाषाओं का संगम है
संस्कृत बुनियाद
अपनी ही कुछ भ्रष्टाचारी
निकली है औलाद
गैर मुल्क की भाषा से क्यूं
करते इतना प्यार
आओ हम हिन्दी में बाँटे-----------


अंग्रेजी है सौतेली पर
पाती है सम्मान
हिंदी ममता का है सागर 
रूठी क्यूं मुस्कान
माँ की खुशियां लौटा दें हम 
न हों हम लाचार
आओ हम हिंदी में बाँटे------------


भारत माँ के हर बेटे को 
याद रहे हिंदी
हिन्दुस्तानी के माथे पर
दमके ये बिंदी 
हिंदी और मातृभाषा से
केवल अपना प्यार
आओ हम हिंदी में बाँटे-----------


अकादमी तो केवल करती
भाषाओं से प्यार
हिन्दुस्तानी भाषा ना अब 
होगी यूं लाचार
यही प्रयास दिन-रैन करें हम 
कभी न माने हार
आओ हम हिन्दी में बाँटे 
सुख-दुःख और व्यवहार।


((सुषमा भंडारी))


 


 


 


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