शिक्षक की भूमिका तभी श्रेष्ट होगी जब वह खुद को विद्यार्थी की तरह स्थापित करे



कुसुम सिंह


शिक्षक की भूमिका तभी श्रेष्ट होगी जब वह खुद को विद्यार्थी की तरह स्थापित करे।
अज्ञानता को दूर करके जो ज्ञान की जोत जलाता है।
शिक्षा का धन देकर जो जीवन को सुखी बनाता है।
सही गलत की पहचान कराकर
शिक्षा की पहचान बनाता है।
वही आदर्श शिक्षक कहलाता है।


डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस के अवसर पर आज देश भर में शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने शिक्षक को बहुत महत्त्व दिया व उनका सम्मान बढ़ाया। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में एक शिक्षक ही शिक्षा साधनों से अवगत कराते है जिनका आज की शिक्षा प्रणाली और राष्ट्र निर्माण में विशेष योगदान है। आज डिजीटल वर्ड ,स्मार्ट क्लासरूम एक अच्छे शिक्षक के बिना अर्थहीन है।


एक शिक्षक की भूमिका तभी सर्वश्रेष्ठ है जब वह खुद को एक विद्यार्थी का दर्जा दे अर्थात सीखने की जिज्ञासा ही एक श्रेष्ठ शिक्षक का निर्माण करती है। आज शिक्षा क्षेत्र में युवाओं के झुकाव में बढ़ोतरी यह बताती है कि भारतीय संस्कृति को कायम रखने  व शिक्षा के स्तर को उठाने के लिये निगम शिक्षक  महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहै हैं जो एक सराहनीय कदम है।


 


 


 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर