संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता प्राप्त करने के लिए प्रयास जारी रखे : उपराष्ट्रपति


नयी दिल्ली - उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडु ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता प्राप्त करने के लिए सार्थक प्रयास जारी रखने की आवश्यकता पर बल दिया है। विश्व में भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा के संदर्भ में उपराष्ट्रपति ने इस विषय परअधिकाधिक विश्वमत का समर्थन प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में सुधार केमुद्दे पर विश्व समुदाय से सतत विमर्श जारी रखना जरूरी है।


वे अपने निवास पर भारतीय विदेश सेवा के 2018 बैच के प्रशिक्षु अधिकारियों को संबोधित कर रहेथे। विदेश सेवा को अपना कैरियर बनाने के लिए, प्रशिक्षु अधिकारियों को शुभकामनाऐं देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कियह सेवा उन्हें भारत की महान सभ्यता, सांस्कृतिक समृद्धि तथा यहां विकास की असीम संभावनाओं से वृहत्तर विश्व कोपरिचित कराने का अवसर प्रदान करेगी।


उन्होंने कहा कि युवा कूटनीतिज्ञ भविष्य के प्रवक्ता, अनुवादक तथा विश्व को भारत की विकास गाथा से परिचित करानेवाले सूत्रधार हैं - जो आने वाले वर्षों में भारत और वृहत्तर विश्व के बीच परस्पर सम्मान, सौहार्द, समझ तथा साझा विकासके सेतु का निर्माण करेंगे। उपराष्ट्रपति ने विदेश सेवा के प्रशिक्षु अधिकारियों से अपेक्षा की कि वे भविष्य की भू-राजनीतितथा वैश्विक व्यवस्था को परिभाषित करेंगे।


प्रशिक्षु अधिकारियों के सामने अपने वाली भावी चुनौतियों की चर्चा करते हुए श्री नायडु ने कहा कि विश्व में बढ़तीसंरक्षणवादी प्रवृत्ति ने विश्व के साझा विकास के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। विश्व में बढ़ते आतंकवाद पर चिंताव्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी देश इस विपत्ति से निरापद नहीं है। उन्होंने इस वैश्विक आपदा के विरूद्धसंगठित विश्व के साझा प्रयासों का आह्वाहन किया। उन्होंने आतंकवाद के विरूद्ध भारत के दृढ़ संकल्प की सराहना कीऔर अपेक्षा व्यक्त की कि विश्व शांति के लिए हमारे संकल्पनिष्ठ प्रयास जारी रहेंगे।


भगौड़े आर्थिक अपराधियों के भ्रष्ट कृत्यों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने चिंता व्यक्त की कि कुछ देशों में ये भगौडेआर्थिक अपराधी आसानी से निरापद प्रश्रय पा जाते हैं। उन्होंने वैश्विक अर्थतंत्र तथा वृहत्तर सामाजिक हितों को ऐसेअपराधियों के अनैतिक भ्रष्टाचार से संरक्षित रखने के लिए द्विपक्षीय, बहुपक्षीय समझौतों तथा प्रत्यर्पण संधियों की निरंतरसमीक्षा करने की जरूरत पर बल दिया।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि सतत विकास के लिए प्रस्तावित एजेंडा 2030 की सफलता के लिए भारत की सक्रिय साझेदारीअपरिहार्य है। उन्होंने कहा कि आधुनिक समस्याओं के निदान के लिए एक वृहत्तर मानवीय दृष्टिकोण अपनाना होगा। श्रीनायडु ने कहा कि भारत की विहंगम विश्व दृष्टि, 'वसुधैव कुटुंबकम्' के विराट आदर्श से परिभाषित होती रही है। हम 'सर्वेभवन्तु सुखिन: ' की प्रार्थना करते हैं। हमारे उदार उदात्त आदर्श हमें वह नैतिक शक्ति देते हैं कि इन विषम वैश्विकपरिस्थितियों में भी हम विश्व संवाद को सार्थक रूप से प्रभावित कर सकते हैं।


 नायडु ने कहा कि भारत तेजी से विकास मार्ग पर अग्रसर है तथा विश्व हमारी विकास गाथा को उत्सुकता से देख रहा है। उन्होंने कहा कि हमें विश्व व्यापार, निवेश तथा इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों का भरसक लाभ उठानाचाहिए। उन्होंने नव प्रशिक्षुओं से अपेक्षा की कि वे विश्व बाजार की संभावनाओं से लाभ उठाने में भारतीय उद्यमों तथाव्यवसायियों की आगे गढ़ कर सहायत करें तथा भारत में वैश्विक निवेश लाने के प्रयास करें।


हाल में संपन्न 2019 के आम चुनावों की चर्चा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि जनता ने नि:संदेह स्पष्टता के साथ स्थिरता को चुना है। उन्होंने कहा कि मैं आशा करता हूं कि सभी नागरिक हमारी समृद्ध लोकतांत्रिक परंपराओं को और सुदृढ़करेंगे तथा अपनी साझा ऊर्जा आर्थिक विकास और लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने में लगायेंगे।


इस अवसर पर विदेश सेवा संस्थान के डीन जे.एस. मुकुल, संयुक्त सचिव राहुल श्रीवास्तव तथा अमरनाथ दूबेसहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित रहे।


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