इस्‍पात विनिर्माण क्षेत्र को प्रतिस्‍पर्धी बनाने के लिए उपाय किये जाएंगे 


नयी दिल्ली - केन्‍द्रीय वाणिज्‍य एवं उद्योग तथा रेल मंत्री और इस्‍पात मंत्री ने इस्‍पात क्षेत्र द्वारा सामना की जा रही चुनौतियों व आयात-निर्यात रुझानों पर इस्‍पात विनिर्माताओं के साथ विचार-विमर्श किया।


दोनों ही मंत्रियों ने इस्‍पात उद्योग को आश्‍वासन दिया कि वाणिज्‍य एवं उद्योग तथा इस्‍पात मंत्रालय अगले पांच वर्षों के दौरान इंजीनियरिंग सामान के निर्यात को दोगुना करने के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। निर्यात का लक्ष्‍य 2030 तक 200 बिलियन डॉलर निर्धारित किया गया है।


इससे भारतीय निर्यात को न सिर्फ प्रोत्‍साहन मिलेगा, बल्कि यह विनिर्माण क्षेत्र, विशेषकर एमएसएमई क्षेत्र में रोजगार के अवसरों का सृजन करेगा।


भारत इस्‍पात का दूसरा सबसे बड़ा विनिर्माता है। परंतु भारत इस्‍पात आयात भी करता है। इस्‍पात निर्यात परिषदों के प्रतिनिधियों ने अन्‍य देशों द्वारा संरक्षणवादी कानूनों के संबंध में चर्चा की।


 पीयूष गोयल तथा श्री धर्मेन्‍द्र प्रधान ने टैरिफ तथा गैर-टैरिफ उपायों पर विस्‍तार से चर्चा की, ताकि अनावश्‍यक आयात को कम किया जा सके तथा निर्यात में बढ़ोतरी की जा सके।


एमएसएमई ने इस्‍पात विनिर्माताओं से आग्रह किया कि वे निम्‍न दर पर कच्‍चे माल की आपूर्ति करें, ताकि यह क्षेत्र अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार में प्रतिर्स्‍धा कर सके।


इस बैठक में पीयूष गोयल, धर्मेंद्र प्रधान, फग्‍गन सिंह कुलस्‍ते, इस्‍पात सचिव विनय कुमार, वाणिज्‍य सचिव अनूप वाधवा, विदेश व्‍यापार के महानिदेशक आलोक वर्धन चतुर्वेदी, वाणिज्‍य तथा इस्‍पात मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारी, सेल के चेयरमैन, ईईपीसी के सभी सदस्‍य, भारतीय इस्‍पात परिसंघ, इस्‍पात विनिर्माता तथा इस्‍पात क्षेत्र के अन्‍य परिसंघ मौजूद थे।   


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