26 से 28 अगस्त बच्चों के लिए सजेगा फिल्मों का मेला 


जयपुर: जयपुर के फिल्म प्रेमियों के लिए अगस्त का महीना खास होने जा रहा है। दरअसल जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ट्रस्ट की ओर से 26 से 28 अगस्त (सुबह 8:30 से दोपहर 1 बजे) को गुलाबी नगरी में आर्यन इंटरनेशनल चिल्ड्रन्स फिल्म फेस्टिवल और 16 इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल्स का आयोजन एक साथ होने जा रहा है। विशेष रूप से बच्चों के लिए बनाए गए इस फिल्म उत्सव का उद्देश्य दुनिया भर के देशों से आई फ़िल्मों को नन्हें दर्शकों तक पहुँचाना रहेगा।



फ़िल्मों में खास रहेगी कनाडा में बनी एनिमेशन फ़ीचर फिल्म रेस टाइम। बेनॉइट गॉडबाउट निर्देशित इस फिल्म में बचपन के उतार – चढ़ावों को रोमांचक तरीक़े से दिखाया गया है।


वहीं, भारत में बनी वो जो था एक मसीहा मौलाना आज़ाद प्रदर्शित होगी। डॉं राजेन्द्र गुप्ता और संजय सिंह नेगी के निर्देशन में बनी यह फ़ीचर फिल्म मौलाना आज़ाद की जीवनी के बारे में है। फिल्म बयां करती है कि शिक्षा मंत्री रहते हुए, मौलाना किस प्रकार शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाए। शिक्षा में विज्ञान और तकनीक के विलय के साथ ही, वे पूरे जीवन हिन्दू – मुस्लिम एकता के लिए संघर्ष करते रहे।



अनिल गजराजों के निर्देशन में बनी फिल्म उड़ चले भी खास रहेगी। यह हिन्दी फ़ीचर फिल्म आदर्श शिक्षा व्यवस्था पर आधारित है। फिल्म में दिखाया गया है कि किस प्रकार हर व्यक्ति प्रकृति के साथ जुड़ा रहकर जीवन का अर्थ और उद्देश्य प्राप्त करता है। फिल्म के लिए वाइल्ड लाइफ़ शूट भी किया गया है।


भारत में बनी फिल्म बघीरा ख़ास रहेगी। बघीरा गर्ल स्काउट ग्रुप की लीडर है, जिसका अपहरण एक खूंखार शख्स काका कर लेता है। क्राइस्टोफर आर. वॉट्सन के निर्देशन में बनी इस फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे बघीरा अपने स्काउटिंग प्रशिक्षण का उपयोग करते हुए, काका के चंगुल से बाहर निकलती है। फिल्म मुंबई के बाहरी इलाके में शूट की गई है।



बेल्जियम में बनी फिल्म सैकंड चांस खास रहेगी, चूंकि यह कई रोमांचक मोड़ों से गुज़रती है। ह्युगो ट्युजेल्स के निर्दशन में बनी 13 मिनट की इस फिल्म में नायिका की बहन की मौत ठीक वहीं हो जाती है, जहां पिछले साल उसके पिता की मृत्यु हुई थी। और वह डर में है – क्या अब उसकी बारी है?


अंग्रेजी और फ्रैंच भाषा में बनी दा एनिमल दैट देयरफॉर आइ एम फिल्म की कहानी बांधे रखने वाली है। बी डे विज़र निर्देशित इस फिल्म में तीन जानवर और एक स्त्री एक बंद जगह में फंस जाते हैं। अब यह देखना है कि वे कैसे एक – दूसरे को समझते हैं, और उनके बीच आश्चर्यजनक रूप से एक मौन संवाद का जन्म होने लगता है।


मयूर कटारिया के निर्देशन में बनी फिल्म एक आशा, एक ट्रांसजेडर लड़की के टीचर बनने की कहानी पर आधारित है। 123 मिनट लम्बी यह फिल्म आशीष के इर्द – गिर्द घूमती है, जो अपने जेंडर को लेकर बचपन से परेशान रहा है। वह आशा में तब्दील होता है, कई प्रताड़नाओं से गुज़रता है, लेकिन आखिर कार टीचर बनने के अपने सपने को सच करके ही दम लेता है।


 तीन दिनों में भारत में बनी 15 फ़िल्में तथा दूसरे देशों से आई 31 फ़िल्में दिखाई जाएँगी। 19 देशों से आई अनेकानेक विषयों पर आधारित कुल 46 फ़िल्में यहाँ प्रदर्शित होंगी।


शहर के पाँच स्कूलों में होगी फिल्म स्क्रीनिंग


फ़िल्मों का प्रदर्शन शहर के जय श्री पेडीवाल हाई स्कूल, महाराजा सवाई मानसिंह विद्यालय, डॉल्फ़िन पब्लिक स्कूल, कैम्ब्रिज कोर्ट हाई स्कूल और संस्कार स्कूल ऑडिटोरियम्स में होगा।


लगभग 15,000 बच्चे एक साथ देखेंगे फिल्म


इसे फिल्म समारोह की उपलब्धि की तरह देखा जाना चाहिए कि जहाँ पिछले वर्ष आर्यन इंटरनेशनल चिल्ड्रन्स फिल्म फेस्टिवल में 8,000 बच्चे आए थे, वहीं इस मर्तबा शहर के अलग अलग स्कूल्स के लगभग 15,000 बच्चे फिल्म देखने पहुँचेंगे।


 


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