देश में पोषण क्रांति आरंभ करने की आवश्यकताः उप राष्ट्रपति


आउटलुक इंडिया द्वारा पोषण पर आयोजित 'आउटलुक स्पीक आउट-पोषण' कार्यक्रम के तहत आउटलुक पोषण पुरस्कार 2019 प्रदान करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि परिवर्तन लाने वाले नेताओं को निश्चित रूप से जागरुकता फैलानी चाहिए एवं गांवों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे कस्बों में जाकर परामर्श उपलब्ध कराना चाहिए।


नयी दिल्ली - उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने महिला कुपोषण-योद्धाओं या छोटे गांव के स्तर पर परिवर्तन लाने वाले नेताओं के निर्माण द्वारा देश में पोषण क्रान्ति आरंभ करने की अपील की है।



 नायडू ने कुपोषण के अभिशाप एवं अन्न पोषण संबंधित समस्याओं  को दूर करने के लिए स्वच्छ भारत, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान एवं ऐसी अन्य योजनाओं की तर्ज पर एक राष्ट्रीय आन्दोलन की भी अपील की।


उपराष्ट्रपति ने भविष्य की क्षमता के निर्माण के लिए एवं अधिकतम शारीरिक एवं मानसिक सामर्थ्य वाले नागरिकों की एक नई पीढ़ी के सृजन के लिए गर्भवती एवं दूध पिलाने वाली माताओं पर विशेष फोकस करने की आवश्यकता पर जोर दिया।


 नायडू ने आधुनिक समाज के शक्तिशाली संचार माध्यमों मीडिया एवं सिनेमा से भी कुपोषण के महत्व पर जागरुकता फैलाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सरकार के अतिरिक्त समाज पर भी व्यापक रूप से कुपोषण की समस्या के समाधान की जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “ हमें लोगों की मानसिकता और दृष्टिकोण में बदलाव लाने की आवश्यकता है।”



65 प्रतिशत लोगों के 35 वर्ष की उम्र से कम होने के साथ भारत की एक युवा राष्ट्र के रूप में व्याख्या करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत को तेज गति से प्रगति करने एवं राष्ट्रमंडल में अपना सही स्थान अर्जित करने के लिए उनका स्वास्थ्य एवं कल्याण महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पोषण एक स्वस्थ प्रतिरक्षण प्रणाली और सर्वश्रेष्ठ संज्ञानात्मक योग्यता के लिए आवश्यक है।


उपराष्ट्रपति ने कहा कि सूक्ष्म पोषण कमी जैसी समस्याओं का समाधान बाजरा, अम्ल एवं अमलतास जैसी प्राकृतिक रूप से जैव प्रतिबलित फसलों को बढ़ावा देने के द्वारा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि “सूक्ष्म पोषक अभाव का परिणाम निम्न उत्पादकता, निम्न संज्ञानात्मकता एवं शारीरिक विकास के रूप में सामने आता है। हमें अनूपूरण, खाद्य सुदृढ़ीकरण एवं आहार संबंधी विविधता के जरिए इनका समाधान करने की आवश्यकता है।”


इस तथ्य पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कि भारत में पांच वर्ष की आयु से कम के 38.4 प्रतिशत बच्चों का अवरुद्ध विकास होता है, नायडू ने कहा कि वर्तमान एवं भविष्य की पीढ़ियों को शक्ति संपन्न बनाना देश के लिए शीर्ष प्राथमिकता होनी चाहिए।


यह बताते हुए कि भूख और मोटापा कुपोषण के दोहरे बोझ हैं, उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य क्षेत्र के सभी हितधारकों एवं नीति निर्माताओं से इस समस्या के समाधान पर तत्काल ध्यान केन्द्रित करने की अपील की।


कुपोषण को समाप्त करने के लिए सर्वश्रेष्ठ प्रचलनों एवं माडलों के निर्माण की अपील करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार और विकास साझेदारों को निश्चित रूप से इस राष्ट्रीय प्रयोजन के लिए काम करने हेतु एक समान मंच पर एक साथ आना चाहिए।


उप राष्ट्रपति ने कॉरपोरेट क्षेत्र से सीआरएस के तहत पोषण संबंधित युक्तियों के लिए अधिक फंड आवंटित करने की अपील की।


 नायडू ने बच्चों को विभिन्न खतरनाक बीमारियों से बचाने के लिए टीकाकरण की आवश्यकता पर जोर देते हुए टीकाकरण कवरेज में सुधार लाने के लिए सरकार के “मिशन इंद्रधनुष” कार्यक्रम की सराहना की।


इस अवसर पर आउटलुक के एडिटर इन चीफ रुबेन बनर्जी,आउटलुक के सीईओ इन्द्रनील रॉय एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।


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