दिल्ली के द्वारका में कार्बी और डिमासा भवन का हुआ शिलान्यास


इन भवनों के निर्माण से भारत के अन्य राज्यों की तरह, दोनों स्वायत्त परिषदों के पास राष्ट्रीय राजधानी में अपनी समृद्ध परंपरा और संस्कृति और विकास कार्यक्रमों का प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली में एक मंच होगा। कार्बी आंगलोंग स्वायत्त परिषद (केएएसी) का दो जिलों पर अधिकार क्षेत्र है: कार्बी आंग्लोंग और पश्चिम कार्बी आंगलोंग। दीमा हसाओ जिला (पूर्व में उत्तरी कछार हिल्स) उत्तरी कछार स्वायत्त परिषद द्वारा शासित है।


नयी दिल्ली - केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा द्वारका में कारबी आंगलोंग ऑटोनॉमस काउंसिल (केएएसी) और नॉर्थ कछार हिल्स ऑटोनॉमस काउंसिल ऑफ असम (एनसीएचएसी) के कार्बी और डिमासा भवन का शिलान्यास किया गया।



 अमित शाह ने कहा कि पूरे भारत के विकास कार्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आबादी के अनुपात में सबसे ज्यादा समय उत्तर-पूर्व को दिया है और पिछले 5 साल में कई विकास की परियोजनाओं की शुरुआत की गई है। उनका कहना था कि कार्बी एवं दिमासा के भवन यहां पर अस्तित्व में आएंगे और इसके साथ ही दुनिया के नक्शे पर कार्बी व दिमासा की संस्कृति को नई पहचान के लिये एक नई जगह मिलेगी।


 शाह ने बताया कि नार्थ ईस्ट काउंसिल की बैठक में अध्यक्षता करने के लिये पूर्व प्रधानमंत्री मोरार जी देसाई के 40 वर्षों बाद प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी शामिल हुए और प्रत्येक 15 दिन में एक केंद्रीय मंत्री को उत्तर-पूर्व का दौरा करने का चक्र तय किया। इससे ढेर सारी सुविधाये और विकास के कार्य आगे बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि मुझे यह बताते हुए प्रसन्नता हो रही है कि उत्तर-पूर्व के विकास के लिये पहले जो बजट 87 हजार करोड़ था उसे 258% बढ़ाते हुए मोदी सरकार के आने के बाद 3,13,375 करोड किया गया जो मोदी सरकार की उत्तर-पूर्व के सर्वांगीण विकास की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।


उनका कहना था कि आज उत्तर-पूर्व वायु, रेलवे तथा सड़क मार्ग से जुड़ चुका है, वहाँ सड़कों को चौड़ा करने का काम भी तेजी से किया जा रहा है। श्री शाह ने आगे कहा कि उत्तर-पूर्व में जो परिवर्तन आया है वह देश के प्रधानमंत्री और हमारे नेता नरेंद्र मोदी जी के मन में उत्तर-पूर्व के लिए, नॉर्थ ईस्ट के लिए जो प्यार है जो सम्मान और जो अनुकंपा है वह सामने आयी है।


 शाह का यह भी कहना था कि उत्तर-पूर्व में हुए विकास कार्यों के कारण वहां आतंकवाद कम हुआ है तथा शांति स्थापित हुई है। श्री शाह ने यह भी कहा कि पूर्व की सरकारों में पूर्वोत्तर का इलाका विकास के रास्ते से भटक गया था जो भाजपा की सरकार बनने के बाद मोदी जी के नेतृत्व में वापस रास्ते पर आया है।


 शाह ने कहा कि डोनर मंत्रालय ने लगभग 153 करोड़ रुपये की 17 अलग अलग परियोजनाओं पर काम शुरू कर दिया है और कई महत्वपूर्ण काम किए हैं जिनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर का बांस के औद्योगिक पार्क शुरू करने के साथ-साथ उत्तर पूर्व के विभिन्न राज्यों में कई मेडिकल कॉलेज, डिग्री कॉलेज, कानून महाविद्यालय, तारामंडल, सांस्कृतिक हॉल का निर्माण आदि कितनी ही बड़ी परियोजनाएं शामिल हैं। शाह का कहना था कि जनजाति को विकास तक नहीं ले जाना है बल्कि विकास के कार्यों को जनजाति तक ले जाना चाहिए। अमित शाह ने कहा कि उत्तर-पूर्व में शांति भी होनी चाहिये, समृद्धि भी होनी चाहिए और विकास हर गांव में पहुंचना चाहिए लेकिन उत्तर-पूर्व की पहचान को भी बनाने रखना भारतीय जनता पार्टी की श्री नरेंद्र मोदी सरकार का लक्ष्य है।


 शाह ने कहा कि विकास के साथ-साथ उत्तर-पूर्व की संस्कृति को भी बचाना है। पूर्वोत्तर की चिकित्सा विज्ञान की पद्धतियां अत्यंत प्राचीन है, वहाँ वनस्पति के क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं और इन भवनों में मेडिटेशन गुण वाली औशधियों पर रिसर्च एंड डेवलपमेंट विभाग खोलकर आगे बढ़ाने की जरूरत है। उन्होँने आगे कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि जो कांग्रेस की सरकार ने वादा किया था उसे मोदी की सरकार पूरा करने जा रही है। उनका कहना था कि इस भवन निर्माण से उत्तर-पूर्व के बच्चे दुनिया को जानेंगे, विश्व के साथ जुड़ेंगे तथा प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे।


कार्यक्रम में बोलते हुए डोनर मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तर-पूर्व का विकास माननीय प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि मोदी जी कहते हैं कि यदि एक भुजा बलवान हो और दूसरी मजबूत न हो तो देश का समुचित विकास नहीं हो सकता इसलिये उत्तर-पूर्व का विकास भी देश के बाकी हिस्सों की तरह ही होना चाहिये।


असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कार्बी और डिमासा भवन के शिलान्यास के अवसर पर बोलते हुए आसाम राज्य सरकार के वित्त मंत्री हेमंता विश्वसर्मा का कहना था कि देश में करोड़ों रुपये के प्रोजेक्ट शुरू किए गए हैं किंतु कार्बी और डिमासा भवन के शिलान्यास लिए गृह मंत्री अमित शाह का आगमन उनके उत्तर-पूर्व के प्रति विशेष प्रेम को दर्शाता है। इस दौरान उत्तर-पूर्व के कई सांसद और विधायक भी मौजूद थे।  


दोनों क्षेत्र मुख्यतः आदिवासी क्षेत्र हैं जहां हरे-भरे जंगल और जीव हैं। लोगों के पास एक समृद्ध पारंपरिक और संस्कृति है जो सदियों से संरक्षित है।


मूल रूप से मकीर हिल, कार्बी आंगलोंग या करबियों की भूमि के रूप में जाना जाता है। इसमें रोलिंग हिल्स, घने जंगल, झरने, नदियाँ और नाले हैं। कार्बी आंगलोंग को कोको फॉल्स, खंडुली टूरिस्ट सेंटर, उमवांग टूरिस्ट सेंटर और कोहोरा टूरिस्ट रिज़ॉर्ट जैसे आकर्षण भी मिलते हैं।


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