कुष्ठ रोग पीडि़त के साथ भेदभाव बरतने वाले 108 कानूनों को बदला जाना चाहिए
डॉ. हर्षवर्धन ने कहा कि भारत दिव्यांगजनों सहित सभी व्यक्तियों के लिए न्याय और समानता के प्रति कटिबद्ध है। डॉ. हर्षवर्धन ने आंध्र प्रदेश/तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा, गोवा/दमन एवं दीव, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, सिक्किम, मेघालय, हरियाणा,पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, गुजरात, असम, महाराष्ट्र, बिहार, पुद्दुचेरी, दिल्ली, राजस्थानऔर पूर्वोत्तर राज्य के मुख्यमंत्रियों तथा जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को भेजे गए अपने पत्र में आग्रह किया है कि ऐसे भेदभाव बरतने वाले मौजूदा कानूनों में संशोधन करने के लिए संबंधित विभागों और अधिकारियों को निर्देश दिया जाए।
नयी दिल्ली - केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि कुष्ठ रोग से पीडित व्यक्तियों के साथ भेदभाव करने वाले 108 कानूनों को बदला जाए। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि ऐसा करना राष्ट्र पिता की 150वीं जयंती पर उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग पीडि़त व्यक्तियों के साथ भेदभाव उन्मूलन विधेयक की प्रक्रिया में तेजी लाकर हम राष्ट्रपिता को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।
अपने पत्र में डॉ. हर्षवर्धन ने लिखा है कि कुष्ठ रोग अब पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है, लेकिन यह जानकर बहुत दु:ख होता है कि कुष्ठ रोग पीडि़त व्यक्तियों के खिलाफ तीन केन्द्रीय और एक 105 राज्य कानूनों सहित भेदभाव बरतने वाले 108 कानून आज भी मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम ने पिछले चार दशकों के दौरान भारी सफलता अर्जित की है।
कुष्ठ रोग का मुकाबला करने के लिए कई अभियान चलाए जा रहे हैं और उसकी कई औषधियां मौजूद हैं। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोग 'मल्टी-ड्रग थैरपी' देश के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में नि:शुल्क उपलब्ध है, जिसकी सहायता से कुष्ठ रोग पूरी तरह ठीक हो जाता है। उपचार के बाद कुष्ठ रोग पीडि़त व्यक्ति रोग के जीवाणु का संक्रमण नहीं करता।
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