माया रुपी संसार में परमात्मा के आने का कारण


बिहार - श्री राम चरित्र मानस में संत शिरोमणि श्री तुलसी दास गुसाईं ने लिखा है कि जो ज्ञान और अज्ञान के भेद को दर्शाते हैं पक्षपात और पारदर्शिता को दर्शाते हैं अज्ञान यानी कि माया रुपी संसार में परमात्मा के आने का कारण संसार रूपी शब्दों में श्री गुसाईं जी दर्शाते हैं


 विप्र धेनु सुर संत हित लीन मनुज अवतार


बड़ा सुंदर यह लेख गुसाई जी ने दिया है संसार के लिए संसार रूपी शब्द में दूसरी तरफ देखिए जो ज्ञान रूपी कांड उसमें ज्ञान रूपी शब्दों में सत्य सनातन  की भाषा शैली  का अर्थ सत्य माने परमात्मा ईश्वर दूसरा शब्द सनातन  सृष्टि के आरंभ से अंत तक श्री गुसाईं जी उत्तराखंड में लिखते हैं  


जब जब होई धर्म की हानि बाढ़ हे असुर अधम अभिमानी


 तब तब धर प्रभु मनोज शरीरा आ रही कृपानिधि सज्जन पीरा


 विचार करने वाली बात है यही संसार का सत्य है अब दोनों ही शब्द ईश्वर के भूलोक पर आना स्पष्ट करते हैं परंतु कारण बताने में भेद है और वही भेद है हमें हमारी क्रिया में और संसार में और संसार की क्रिया में बाकी आप हो सभी ज्ञानी संत बुद्धिजीवी हैं आप सभी को सादर होम नमो नारायण हर हर महादेव जय विश्वनाथ काशी पति ओम गं गुरुदेव नमः
शिक्षक दिवस पर विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया गुरुओं के सम्मान समारोह में काफी लोग एकत्रित हुए


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर