लाल देश के लाल थे


   


लेखिका >सुषमा भंडारी


लाल बहादुर शास्त्री
     थे गुदड़ी के लाल।
     भारत रत्न मिला उन्हे
      कर दिया उँचा भाल।।


 लाल देश के लाल थे
     जाने ये संसार।
     जय जवान जय किसान
      नारा दिया अपार।।


 गुदड़ी के इस लाल ने
     ऐसा किया कमाल।
      सच्चाई के रास्ते
     बने देश की ढाल।।


 जन्मोत्सव की ये घड़ी 
     आये बारम्बार।
      दो अक्टूबर मना रहा
      सारा ये संसार।।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

सारस्वत ब्राह्मण समाज द्वारा जिला जयपुर का होली मिलन समारोह आयोजित