आधार,10 वर्षों के बाद : भारत के अनूठे डिजिटल पहचान के सबसे बड़े सर्वेक्षण की 10 बातें 


स्टेट ऑफ़ आधार 2019 की स्थिति को लेकर तैयार की गयी रिपोर्ट देश भर में किये गए अध्ययन पर आधारित है, जिसमें देश के 28 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 167,000 परिवारों के अनुभवों और विचारों का लेखाजोखा है। आधार राष्ट्रीय स्तर पर दुनिया भर का सबसे बड़ा डिजिटल पहचानपत्र  है और यह आधार के प्रयोग का सबसे बड़ा बुनियादी डाटासेट है । 


नई दिल्ली : अग्रणी सामाजिक प्रभाव के सलाहकार समूह, डालबर्ग ने 'स्टेट ऑफ़ आधार: ए पीपुल्स पर्सपेक्टिव रिपोर्ट' (आधार की स्थिति : जनविचार) रिपोर्ट को जारी किया, जिसमें आधार के अध्ययन के डाटा आधारित विचार हैं जो इसके आंतरिक बातों को समझने में सहायक हो सकते हैं। 


आधार भारतीय नागरिकों के लिए एक सार्वजनिक पहचान कार्यक्रम है और इस अध्ययन से पता चलता है की लोगों का अनुभव इसे लेकर कैसा रहा - इसे कैसे इस्तेमाल किया जाता है , कैसे अपडेट करते हैं और सार्वजनिक और निजी सेवाओं के लिए इसका कैसे उपयोग होता है, और साथ ही इसके इस्तेमाल से जुडी उनकी व्यापक संवेदनाएं और विश्वास क्या है। साथ ही यह डाटा बताता है कि आधार की कौन सी बातें जरूरी हैं और कौन सी अनावश्यक ।


यह शोध इस सिद्धांत पर आधारित है कि आधार का दैनिक प्रयोग करने वाले लोगों की प्रतिक्रिया उनके अनुभवों को लेकर, और साथ ही इसकी कार्यप्रणाली में व्यवहारिक सुधार के लिए बहुमूल्य है। 


इस अध्ययन का उद्देश्य अधिक प्रभावशाली डिजिटल पहचान की ओर कदम बढ़ाना है, यह उन सभी भारतीय नागरिकों के लिए है जो इसको चाहते हैं।


10 मुख्य बातें 


1 . आधार भारत में सर्वव्यापक हो चुका है। 95% वयस्कों और 75% बच्चों के पास आधार है। 


2-काफी संख्या में अल्पसंख्यक वर्ग के पास आधार नहीं है। अनुमानतः 28 मिलियन वयस्कों के पास आधार नहीं हैयह स्थिति असम और मेघायलय में ज्यादा है जहाँ वैधानिक निवासी होना, पंजीकरण को धीमा कर देता है। कमजोर समूहों में विपरीतलिंगी निवासी (30 %) और बेघर (27%) लोगों के पास पहचान पत्र नहीं है। 


3-आधार प्रक्रिया में सबसे कठिन प्रक्रिया इसे अपडेट करने की है। पांच व्यक्तियों में से एक व्यक्ति जिन्होंने आधार को अपडेट करने की कोशिश की असफल रहे। 4% आधार कार्डों में वर्तमान में गलतियां हैं। 


4-आधार समावेशन का समर्थन करता है। लगभग 49% लोगों ने आधार का उपयोग एक से अधिक सेवाओं जैसे खाद्य राशन ,बैंक अकाउंट, और सामाजिक पेंशन में पहली बार किया है। लगभग 8% लोगों ने आधार का प्रयोग अपने पहले पहचानपत्र के रूप में किया। 


5-आधार की समस्या यह भी है कि कभी-कभी लोककल्याण सेवाओं के लिए इसको अमान्य कर दिया है। 0.8% को लगता है कि आधार के कारण उन्हें मुख्य रूप से मिलने वाली सुविधाओं (पीडीएस राशन, एमजीएनआरईजीएस, सामाजिक पेंशन) से वंचित होना पड़ा, जो उन्हें पहले उपलब्ध होती थी (बनाम 3.3 % गैर आधार कारकों) . 


6-आधार के कारण सेवा पहुँचाने में सुधार हुआ है। 80% मानते हैं कि आधार के कारण पीडीएस राशन ,एमजीएनआरईजीएस या सामाजिक पेंशन लेना अधिक आसान हुआ है। आधार को लेकर 40% निवासियों का मानना था कि आधार के कारण उन्हें एक ही दिन में सिम कार्ड मिल गया जबकि दूसरे पहचान पत्रों के साथ यह बात नहीं थी। 


7-सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद कई लोगों को लगता है कि आधार बैंक अकाउंट ,सिम कार्ड्स, और स्कूल के पंजीकरण के लिए वास्तविक रूप से अनिवार्य है। आधे से अधिक लोग, जिन्होंने आधार का प्रयोग, सिम कार्ड या बैंक अकाउंट खोलने के लिए किया, उसमे सेवा प्रदाताओं ने सिर्फ आधार को पहचान के रूप में स्वीकार किया।  6 से 14 वर्ष के 0.5% विद्यार्थियों को स्कूल में दाखिला आधार न होने के कारण नहीं मिल सका।  


8-अधिकांश लोगों ने आधार की व्यापकता को लेकर प्रशंसा की, कुछ लोग चिंतित दिखे। 72% लोगों ने इस सुविधाजनक पहचान पत्र की तारीफ़ की, जबकि आधे लोगों ने ढेर सारी सुविधाओं से जुड़े होने के कारण इस पर शंका जताई। 


9-अधिकांश निवासी आधार से संतुष्ट हैं और इस पर भरोसा करते हैं। 92% लोगों ने आधार के प्रति संतुष्टि दिखाई। 67% लोग जिनकों आधार के कारण सुविधाओ से वंचित होना पड़ा वह भी आधार कार्ड को लेकर संतुष्ट दिखे। 90% लोगों का मानना था कि उनके आंकड़े सुरक्षित हैं , जबकि 61% मानते हैं कि दूसरे लोग उनका लाभ नहीं उठा सकते। 8 % मानते हैं कि इसका दुरूपयोग संभव है। 


10-नए डिजिटल फीचर को अभी भी इसमें समाहित करना बाकी है। 77% ने इसके कई फीचरों जैसे एम-आधार, क्यूआर कोड, वर्चुअल आधार या मास्क्ड आधार का उपयोग कभी नहीं किया है। सिर्फ 39% निवासियों ने अपना सही मोबाइल फोन नंबर आधार से जोड़ा है।   


पूरी रिपोर्ट को www.stateofaadhaar.in से डाउनलोड किया जा सकता है।  


डालबर्ग पार्टनर और एशिया क्षेत्र के निदेशक गौरव गुप्ता ने कहा कि  " इस शोध का मतलब किसी भी प्रकार से आधार की अच्छाईओं पर निर्णय देना कतई नहीं है। इसका उद्देश्य निवासियों के विचारों को जानना है जिससे भविष्य में आधार को बेहतर डिज़ाइन से लागू करने में मदद मिल सके। हमारा मानना है कि आधार की सफलता अंततः इस बात पर निर्भर होगी कि इस कार्यक्रम ने अनुभवों से क्या सीखा और साथ ही उन लोगों की चिंताओं को भी इसमें समाहित किया गया है जो अभी भी अपने दैनिक जीवन में आधार कार्ड के उपयोग में समर्थ नहीं हो पाए हैं। "


इस रिपोर्ट को आर एस शर्मा (चेयरमैन ट्राई ), जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा (पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज), सुश्री दीपा सिन्हा (संयोजक, खाद्यान अधिकार अभियान) और जानेमाने पत्रकार शंकर अय्यर की उपस्थिति में जारी किया गया। 


इस रिपोर्ट को तैयार करने और शोध के लिए आर्थिक सहायता देने वाली कंपनी ओमिड्यार नेटवर्क इंडिया की प्रबंध निदेशक, रूपा कुड़वा ने अपने वक्तव्य में कहा कि " हमारा मानना है तकनीक का जिम्मेदारी पूर्वक उपयोग करके समावेशन को मजबूत ताकत बना सकते हैं। हम सक्रिय रूप से उच्च गुणवत्ता वाले शोध को सहयोग देते हैं क्योंकि वह व्यवस्था के स्तर को प्रभावित करने वाला मजबूत तत्व है- इससे समावेशन के लिए मजबूत डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और तकनिकी समाधान का निर्माण करने और अनवरत सुधार करने में मदद मिलती है। हमें इस बात पर बहुत हर्ष हो रहा है कि इस विशाल सर्वेक्षण के समृद्ध डाटासेट को जनता के लिए जारी किया जा रहा है, जो की सभी भागीदारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा। 


अधिक जानकारी या साक्षात्कार निवेदन के लिए कृपया संपर्क करें :info@stateofaadhaar.in


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