दक्षिण भारत के हिंदी साहित्यकार डॉ.शेख अब्दुल वहाब सम्मानित


मेरठ , उत्तर प्रदेश - क्रांतिधरा साहित्य अकादमी द्वारा मेरठ स्थित आई.आई.एम.टी. यूनिवर्सिटी परिसर में  तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय मेरठ साहित्यिक महोत्सव " मेरठ लिटरेचर फेस्टिवल " आयोजित किया गया. मुख्य अतिथि के रूप में जूनापीठाधीश्वर महामंडलेश्वर आचार्य अवधेशानंद महाराज और जैन मुनि डॉ.लोकेश मुनि विराजमान हुए.


इस भव्य उदघाटन समारोह में कनाडा से सरन घई,मारीशस से रामदेव धुरंधर, बेल्जियम से कपिल कुमार, जापान से डॉ. रमा शर्मा, ब्रिटेन से जय वर्मा, नेपाल से विधान आचार्य, डॉ. शवेता दीपति, हिमालिनी पत्रिका के प्रंबध निदेशक सच्चिदानंद मिश्रा आदि एवं स्थानीय जन प्रतिनिधियो और मेरठ वासीयों के साथ साथ भारत के सभी राज्यों से वरिष्ठ व नवोदित कवि, लेखक, रंगमंच, पत्रकारिता, सामाजिक कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही.


मेरठ लिटरेचर फेस्टिवल का मुख्य उद्देश्य 'वसुधैव कुटुंबकम' की भावना और एक दूसरे से साहित्यिक, सांस्कृतिक व भावनात्मक रूप से जोडने की दिशा में एक सशक्त साहित्यिक सेतु का निर्माण करना है.  नवोदित साहित्यकार बन्धुओ को वरिष्ठ साहित्यकारों के सानिध्य में एक अंतर्राष्ट्रीय मंच प्रदान करना हैं. " मेरठ लिटरेचर फेस्टिवल " 2019 के भव्य उद्घाटन सत्र में छ: हजार से ज्यादा देशी विदेशी साहित्यिक व सामाजिक विभूतियां साक्षी बने. इस भव्य साहित्यिक महाकुंभ के आयोजक डॉ. विजय पंडित व पूनम पंडित ने अतिथियों  का भव्य स्वागत किया.


इस साहित्य महाकुम्भ के उद्घाटन में  तमिलनाडु से पधारे डॉ .शेख अब्दुल वहाब को उनकी अनवरत हिन्दी साहित्यिक साधना के लिए संत गंगा दास स्मृति सम्मान से विभूषित किया गया. गीतकार भारत भूषण स्मृति सम्मान से वरिष्ठ गीतकार धर्मजीत सरल को अलंकृत किया गया.शायर हफीज मेरठी स्मृति सम्मान से गुजरात के विजय तिवारी को अलंकृत किया गया. पुरस्कारों मे सभी को धनराशि, अंगवस्त्र, प्रतीक चिन्ह प्रदान किया गया. आई.आई.एम.टी. यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति योगेश मोहन गुप्ता मंच पर उपस्थित रहे.
                                       


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर