दो तीर्थो का निर्माण भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लिए ऐतिहासिक


आज दो तीर्थो का निर्माण इतिहास के गर्भ से निकले दो तीर्थो का निर्माण भारत ही नहीं सम्पूर्ण विश्व के लिए आज का दिन ऐतिहासिक होगा। सदियों से चले आ रहे इस विवाद का पटाक्षेप जिस प्रकार माननीय न्यायालय ने किया है।वह अपने आप में देश की अखंडता भाई चारा और सौहार्द्र का परिचायक है।


हमें दो तीर्थ मिले हैं इस पर हमें नाज़ होना चाहिए। अपने अपने ईष्ट की उपासना अपनी श्रद्धा के साथ कर लें, अपने इहलोक और परलोक के लिए की जाने वाली प्रार्थना और इबादत करें जिससे मुक्ति मिले,धर्मोचारण मन में हो या मंदिर में ये विषय आस्था का है। आज जितने भी मंदिर मस्जिद हैं वे कमाई के साधन बने हुए हैं। ईश्वर हो या अल्लाह वह केवल मात्र सच्ची श्रद्धा और शुद्ध भावना को चाहता है, उन्हें धन दौलत से क्या लेना-देना है फिर भी हम दस चढ़ाते हैं हजार मिन्नतें करते हैं।


आज का यह निर्णय स्वागत योग्य है माननीय जजों द्वारा दिया गया निष्पक्ष साक्षों के आधार पर लिया गया निर्णय है।जिसको हर भारतीय ने सहृदय स्वीकारोक्ति दी है। यह मेरा अपना दिल कहता है। दो भाइयों को अलग अलग तीर्थ मिले हैंआपस में मिल के चलें यही तो सच्ची मानवता है। कहावत है --तालब में रहना मगर से क्या बैर करना। हमने देखा है हिंदू और मुस्लिम भाई प्यार से रहते हैं एक दूसरे के प्रति समर्पित हैं।


केवल मात्र राजनीति की काली छाया हमें दंश देती है उत्तराखंड में कई ग्राम सभा प्रधान मुस्लिम महिलाएं चुन कर आई हैं। विविधताओं का यह देश सभी धर्मों और जातियों से ही तो रचा बसा है। गांव से संसद तक हर जाति धर्म के लोग ही तो देश को चलाते हैं। विविधता में एकता ही तो हमारी सांस्कृतिक विरासत है। हम रामराज्य की कामना करते हैं।हम अल्लाह से विनती करते हैं कि हम नेक रस्ते चलें जिससे मां भारती के सपूतों का सिर गौरवान्वित हो। आज के माननीय न्यायालय के न्यायाधीशों को कोटि कोटि नमन।
 जय भारत जय भारती।
 ईश्वर अल्लाह तेरो नाम।
सबको सन्मति दे भगवान।
"बापू के हे राम " के सपने साथ राम राज्य की स्थापना हो।


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