पगड़ी और तलवार से सम्मानित होने वाली पहली फिल्मी हस्ती बनीं अक्षरा सिंह


यह सम्मान अक्षरा सिंह को क्षत्राणी अक्षरा बनाने वाला है, जिससे वे खुद को गौरवान्वित महसूस कर रही हैं। इस बारे में वे कहती हैं कि बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती पर मुझे जिस तरह से सम्मानित किया गया, वो अद्भुत है।


मैंने कभी ये सोचा नहीं था कि मुझे इस तरह से वहां सम्मानित किया जाएगा, जिस तरह पूर्व में दिग्गज हस्तियों को सम्मानित किया जाता रहा है। इस प्यार और दुलार के लिए आरा की महान जनता ने मुझे अपना ऋणी बना लिया। यह मेरे लिए फक्र और गर्व करने वाला है। पगड़ी और तलवार के साथ सम्मान ने मुझे मेरे आत्मविश्वास को और बढ़ाया है। बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती पर पगड़ी और तलवार से सम्मानित होने वाली पहली फिल्मी हस्ती बनीं अक्षरा सिंह ये सम्मान अब तक किसी हीरो को भी नहीं मिला शो क्वीन अक्षरा सिंह को बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती आरा में तलवार और पगड़ी के सम्मानित किया गया। साथ ही उन्हें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की उपाधि से भी विभूषित किया गया। अक्षरा इस सम्मान को पाने वाली पहली फिल्मी कलाकार हैं।


इससे पहले यह सम्मान अब तक सिर्फ बड़े - बड़े नेताओं और अन्य क्षेत्र के दिग्गजों को मिलता रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं। लेकिन इस बार सन 1857 के नायक बाबू वीर कुंवर सिंह की धरती पर अक्षरा को पगड़ी और तलवार के साथ रानी लक्ष्मीबाई की उपाधि का सौभाग्य मिला, जो आज तक किसी हीरो को भी नहीं मिला।



 अक्षरा सिंह आरा अपने शो के सिलसिले में गयीं थीं, जहां उन्हें यह सम्मान दिया गया। जो आज तक सम्भवतः किसी हीरो को भी नहीं मिला है। वैसे भी अक्षरा पहले से शो क्वीन तो हैं ही। आज वे भोजपुरी इंडस्ट्री की अकेली ऐसी अदाकारा यूं कहें कलाकार हैं, जो अपने दम पर अकेली फ़िल्म हिट देती हैं और जब स्टेज शो करती हैं, तो उनके शो में लाखों की भीड़ उमड़ पड़ती है। चाहे वो बिहार हो, मध्यप्रदेश हो या गुजरात। अक्षरा को पसन्द करने वालों की तादाद बहुत ज्यादा है। ऐसे में अक्षरा को आरा में यह सम्मान मिलना किसी बड़ी सफलता से कम नहीं है।



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर