‘ईपीऍफ़ओ’ ईपीएस95 के आंदोलन से घबराई,पहुँची कोर्ट 


# 'ईपीएफओ' से न्याय की आस में तरसते वृद्ध पेंशनभोगी # कोर्ट ने ईपीएफ़ दफ़्तर में प्रदर्शन पर लगाई पाबंदी*       7 दिसंबर, शनिवार, को लाखों पेंशनरों द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ़ एक मार्च किया जाएगा और रामलीला मैदान पर 'रास्ता रोको अभियान' का आयोजन किया जाएगा।


EPS95 (NAC) देश भर में विभिन्न स्थानों पर अपनी मांगों और अधिकारों के साथ बहुत लंबे समय से विरोध कर रही है। इनकी चार मुख्य मांगें हैं; महंगाई भत्ते के साथ रुपये 7500 मूल पेंशन; ईपीएफओ द्वारा मई 2017 के अंतरिम पत्र को रद्द करने और उच्च पेंशन का भुगतान करने के लिए सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का पालन करना; पेंशनभोगियों के पति या पत्नी को मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाएं; पेंशनभोगियों को ईपीएस 95 योजना के तहत रखा जाएगा और पेंशन के रूप में प्रति माह 5000 रुपये दिए जाएंगे।


नयी दिल्ली / देश के लाखों वृद्ध पेंशनभोगियों को उस वक़्त एक झटका लगा जब नई दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने ईपीएस95 नेशनल एक्शन कमेटी द्वारा एक आंदोलन पर रोक लगा दी, जो 6 दिसंबर को भीकाजी कामा स्थित ईपीएफओ हेड ऑफिस में आयोजित होने वाला था। अब अदालत के आदेश के बाद भीकाजी कामा प्लेस की ईपीएफओ दफ़्तर में आंदोलन की संभावना पर काले बादल मंडरा रहे हैं। अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'अगले आदेश तक ईपीएफओ के कार्यालय की परिधि के 100 मीटर के दायरे में किसी भी प्रकार में धरना / प्रदर्शन/भूख हड़ताल और रास्ता रोको आंदोलन करना मना है।'


ईपीएफओ ने अपनी याचिका में पेंशन संस्था के कर्मचारियों के सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कहा था कि ईपीएफओ के कर्मचारियों के लिए ऐसे आंदोलन उनकी सुरक्षा में बाधा हैं, ऐसे आंदोलन से संस्था के कर्मचारियों को काम करने में कठिनाई का सामना करना करता पड़ता है।


फैसले पर नाराज़ राष्ट्रीय संयोजक और 'ईपीएस 95 नेशनल एक्शन कमेटी {एनएसी}' के अध्यक्ष, कमांडर अशोक राउत (सेवानिवृत्त), ने कहा, "ईपीएफओ हमें सामना करने से डरती है। हमारे आंदोलन पर पाबंदी ये दर्शाती है कि वो डर चुके हैं। उनका कहना है कि उन्हें ईपीएफओ की कर्मचारियों की सुरक्षा का डर है। एक 65- 70 साल का बुज़ुर्ग आदमी उन्हें क्या नुक़सान पहुँचा सकता है? वो तो वैसे भी अपनी उम्र की ढलान पर हैं। यह निंदनीय है। ईपीएफओ एक धोखेबाज़ संगठन है, जो भारत सरकार के नीचे काम कर रही है और हमारी मेहनत की कमाई को लूटकर लाखों वृद्ध को मरने के लिए छोड़ दिया है। ये  लाखों वृद्ध पेंशनरों को धोखा दे चुके हैं। हर साल 75,000 से अधिक पेंशनर्स अपनी पेंशन का इंतजार करते हुए मर जाते हैं। ईपीएफओ के पास हर साल एक लाख करोड़ रुपये जमा होते हैं। इनके खाते में कुल पेंशन लगभग चार लाख बारह हजार करोड़ रुपये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात साल पहले न्यूनतम पेंशन के रूप में एक हजार रुपये देने का वादा किया था। 28 लाख से अधिक पेंशनरों को यह कभी नहीं मिला। हमें न्याय की आस है। हमारा हक़ हम लेकर रहेंगे। ये हमारे बुनियादी अधिकारों का हनन है। संविधान के अनुच्छेद 19 (ii) ने हमें शांतिपूर्ण ढंग से आंदोलन करने का हक़ दिया है।


 


                                          


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