कविता कहानी के अलावा भी साहित्य की दुनिया बहुत बड़ी है


जयपुर - 17 दिसंबर को  सुप्रसिद्ध कवि हेमंत शेष का सम्मान किया जाएगा साथ ही कविता विमर्श पर राजा राम भादू ,हरीश करमचंदानी, अशोक आत्रे  प्रेमचंद गांधी और कैलाश मनहर के वक्तव्य होंगे। कार्यक्रम मोती डूंगरी गीता बजाज बाल मंदिर में आयोजित हो रहा है यहां श्रोताओं और दर्शकों की निशुल्क एंट्री रखी गई है कार्यक्रम रोजाना दोपहर 3:00 से 6:00 तक आयोजित होगा। कार्यक्रम के संयोजक और साहित्यकार प्रदीप सैनी ने बताया कि 18 तारीख को श्रीमती नीलिमा टिक्कू को कथा सम्मान19 तारीख कोप्रो. शम्भू गुप्त को आलोचना सम्मान और 20 तारीख को अजय अनुरागी को व्यंग्य सम्मान प्रदान किया जाएगा ।


साहित्य सप्तक समारोह में ख्याति प्राप्त साहित्यकार डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने कहा कि साहित्य की दुनिया गीत कविता और कहानी से आगे बहुत विस्तृत है। वस्तुतः साहित्य की सभी अमर कृतियां कथेतर साहित्य में उपलब्ध है । उन्होंने कहा कि जिस देश में युवा पीढ़ी संवेदना से ओतप्रोत होकर रिपोर्ताज, संस्मरण, घटनाएं विवेचन विश्लेषण आदि का कार्य करती हैं वह देश स्वतंत्रता का आनंद लेता है और चिंतन का वहां विस्तार होता है ।


इससे पूर्व  साहित्य सप्तक की और से डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल का "सारस्वत सम्मान" से अभिनंदन किया गया और उन्हें शॉल स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र भेंट किया गया । कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ हरिराम मीणा ने कहा कि पूरी दुनिया साहित्य के क्षेत्र में अग्रवाल के योगदान को कभी नहीं भुला सकती वे जब लिखते हैं उनका एक एक शब्द चुना हुआ और सापेक्ष होता है।  सुप्रसिद्ध कहानीकार और कथेतर गद्य के जाने-माने हस्ताक्षर डॉक्टर सत्यनारायण ने कहा कि आज का समय साहित्य के लिए चुनौती का समय है ,बाजारवाद ने इसके सामने अनेक संकट खड़े कर दिए हैं ।


प्रसिद्ध लेखक  रा.वि.वि के प्रो. डा. जगदीश गिरी ने कहा कि हमें युवा पीढ़ी को नई चेतना देने के लिए इस प्रकार के आयोजन करते रहना चाहिए । प्रारंभ में जयपुर पीस फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ नरेश दाधीच ने अतिथियों का स्वागत किया । 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

ग्रासरूट लीडरशिप फेस्टिवल में भेदभाव, छुआछूत, महिला अत्याचार पर 37 जिलों ने उठाये मुद्दे

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

घरेलू कामगार महिलाओं ने सामाजिक सुरक्षा का लाभ मांगा, कहा हमें श्रमिक का दर्जा मिले