स्मार्ट सिटी की परिभाषा को परिभाषित ही नहीं किया गया - प्रोफेसर अमिता सिंह


नयी दिल्ली -स्पेशल सेंटर फॉर डिजास्टर रिसर्च जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के द्वारा “आपदा प्रबंधन स्मार्ट सिटी” विषय के विषय पर 3 दिन की संगोष्ठी आयोजित की गई। यह कार्यक्रम इंस्टीट्यूट फॉर स्टडीज इन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट वसंत कुंज में आयोजित किया गया। इस संगोष्ठी को स्मार्ट सिटी मिशन मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अर्बन अफेयर्स भारत सरकार के साथ आयोजित करवाया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रधानमंत्री द्वारा 2015 में शुरू “स्मार्ट सिटी मिशन” को नागरिक सहभागिता को मद्देनजर रखते हुए आयोजित किया गया, स्मार्ट सिटी मिशन के अंतर्गत केवल तकनीकी संसाधनों पर ध्यान केंद्रित किया गया हैं, परंतु सामाजिक पक्ष को इतनी महत्वता नहीं दी गई।


इस अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में दिल्ली ट्रांसको लिमिटेड, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, यूनेस्को नेट एक्सप्लो, स्मार्ट सिटी एक्स लेटर ग्रुप पेरिस, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी, इंडस्ट्री एंड एकेडमिक एक्सपर्ट, की भागीदारी रही। एससीडीआर की फाउंडर चेयरपर्सन प्रोफेसर अमिता सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि स्मार्ट सिटी की परिभाषा को अभी परिभाषित नहीं किया गया है।


“डिजास्टर रेजिडेंट स्मार्ट सिटी डिक्लेरेशन” को रिलीज करते हुए प्रोफेसर सिंह ने कहा की शहरीकरण की प्रक्रिया को संधारणीय बनाने के लिए लोगों की भागीदारी आवश्यक है डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 एवं स्मार्ट सिटी पॉलिसी शहरी स्थानीय निकाय को नजरअंदाज करती आ रही है इन संस्थानों के पास बजट एवं अधिकारों का अभाव होने के कारण अतिक्रमण बढ़ता जा रहा है, और लोग आपदा के प्रति ज्यादा प्रवण होते जा रहे हैं। नदियों के किनारे अतिक्रमण, बिल्डिंग बाइलॉज का का उल्लंघन होता जा रहा है इससे पर्यावरण का नुकसान हो रहा है, एवं शहरीकरण की प्रक्रिया आसन धारणी बनती जारी रही है। इसलिए लोगों की सहभागिता को तत्पर रखकर सरकार आगे बढ़े।


इस संगोष्ठी ने सूरत के मेयर डॉक्टर जगदीश भाई पटेल को सराहनीय काम के लिए स्मार्ट सिटी अवार्ड के द्वारा नवाजा गया। पटना के विधान परिषद के सदस्य प्रोफेसर संजय पासवान ने कहा कि यह संगोष्ठी आज के समय में बेहद जरूरी है ताकि हमारे विकास की प्रक्रिया निरंतर आगे बढ़ती रहे और इस प्रक्रिया में कोई भी वर्ग का व्यक्ति पीछे ना रहे।


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