हर्ष भरा – वर्ष नया


हर्ष भरा – वर्ष नया


जग में नया वर्ष आया  


दिशाओं में रव हर्ष है गूंजा l


उम्मीदों को जगाने 


उमंगों को भरने 


फिर से सोत्साह आया l


छिपे जन - मन में बीज आस्था के 


पुनः अंकुरित करने आया l 


जीवन में आशाओं के नव तरंग 


आलोड़ित करने आया l 


अतीत के पतझड़ को भुलाकर 


वर्तमान के नव वसंत को भरने आया l


दुःख के अंधियारे को दूर कर 


सुख के नवल किरण बिखेरने आया l


समता समभाव को बढ़ाकर 


मनुष्यता का संचार जन मन में करने आया l 


नारी स्वाभिमान की रक्षा कर जग में 


नारी सुरक्षा का भाव बढाने आया l


असुरक्षा अन्याय अत्याचार आदि से त्रस्त


जन मन को सुस्थिर आश्वासन देने आया l 


आतंक की अति से पीड़ित जग को -


आतंक का उन्मूलन कर जग से – जग में 


शान्ति - सुमन विकसित करने आया l


                        *****//*****


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर