बड़ी चुनौती अलका लांबा के सामने प्रदेश अध्यक्ष के रूप में

कांग्रेस ने दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अलका लांबा के सिर पर एक बड़ी चुनौती दिल्ली में कांग्रेस को मजबूत करने की रख दी है । दिल्ली में कांग्रेस के पास कम से कम वर्तमान समय में कोई दूसरा चेहरा नहीं है ।। अलका लांबा के लिए दिल्ली की यह बड़ी चुनौती वाली जिम्मेदारी है ।। अलका के पास छात्र राजनीति से लेकर 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में विधायक के रूप में जीत का अच्छा अनुभव है। अलका अच्छी वक्ता और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा और अपनी बात को मज़बूती के साथ रखने की सलाहियत रखती हैं साथ ही दिल्ली के मुस्लिम, पंजाबी वर्ग के बीच उनकी छवि अच्छी है ।



अगर अलका दिल्ली के जाटों, गांवों और पूर्वांचल के लोगों में कांग्रेस को मजबूत कर पायीं तो दिल्ली में कांग्रेस के लिए शीला दीक्षित के बाद एक मज़बूत और लोकप्रिय चेहरा साबित होंगी ।। दिल्ली में 2014 के बाद जितने भी चुनाव हुए है उनमें कोई अच्छा नतीजा कांग्रेस को नहीं हासिल हुआ । लोकसभा,विधानसभा या दिल्ली नगर निगम के चुनावों में कांग्रेस की बुरी तरह से हार हुई है यही नहीं, दिल्ली में कांग्रेस का वोटर लगातार फिसल रहा है ।।


ऐसे में इस फिसले हुए वोटर को दिल्ली नगर निगम के चुनावों से पहले कांग्रेस के पक्ष में करने की बड़ी चुनौती अलका लांबा के सामने एक प्रदेश अध्यक्ष के रूप में है।। 2014 के इलेक्शन के बाद से दिल्ली का बड़ा मुस्लिम वोटर कांग्रेस से फिसल कर आम आदमी पार्टी के पास चला गया है । कांग्रेस के सामने मुस्लिम,पूर्वांचल,जाट,पंजाबी, बाहरी दिल्ली के फिसले वोटरों में विश्वास पैदा करने की और अपने युवा कैडर को मज़बूत करने की बड़ी चुनौती है ।। 2015 और अभी हाल ही में सम्पन्न हुए फरवरी 2020 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस दिल्ली की 70 विधानसभा की सीट में से एक पर भी जीत हासिल नहीं कर पाई। ऐसे में कांग्रेस के लिए दिल्ली में आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। 



लेखक - आरिफ जमाल 


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