ब्रिजलैब्ज़ की वर्ष 20-21 में 2500 इंजीनियर को स्किल्ड बनाने और रोजगार मुहैया कराने का लक्ष्य

मुंबई : देश की सबसे बड़ी आईपी-ड्रिवेन इंक्यूबेशन लैब ब्रिजलैब्ज़ सॉल्यूशन एलएलपी ने वित्त वर्ष 20-21 में नए इंजीनियर को स्किल बनाने और रोजगार देने का लक्ष्य तय किया है। इसके साथ ही कंपनी ने पुणे और हैदराबाद में दो नई लैब शुरू करने का फैसला किया है। इसकी मुख्य ऑफरिंग मेकर प्रोग्राम कंपनी के मूल प्रयासों में से एक है, जिसमें इंजीनियर को जरूरी स्किल की ट्रेनिंग देकर इंडस्ट्री के लिए तैयार किया जाता है। इसके साथ ही कंपनी कोडिंग बूटकैंप और अन्य गतिविधियां भी संचालित करती है, ताकि ज्यादा से ज्यादा इंजीनियर को रोजगार के लायक बनाया जा सके।



मेकर प्रोग्राम की बदौलत वित्त वर्ष 19-20 में कंपनी की कमाई में 300 फीसदी का बड़ा इजाफा हुआ है। मौजूदा वित्त वर्ष में ही कंपनी ने 1100 से ज्यादा हाई स्किल्ड इंजीनियर तैयार किए हैं और इन्हें थॉटवर्क्स, बुकमायशो और अर्बन लैडर जैसी बड़ी कंपनियों में प्लेसमेंट दिलवाया है। कंपनी सक्रिय रूप से महिला इंजीनियर को भी प्रोत्साहित कर रही है और विभिन्न प्रोग्राम के माध्यम से कॅरिअर को लेकर जागरूकता फैलाने का काम कर रही है। मौजूदा उम्मीदवारों में 45 फीसदी महिलाएं हैं।


विस्तार की योजना पर चर्चा करते हुए ब्रिजलैब्ज़ के संस्थापक नारायण महादेवन ने कहा कि “पिछले वर्षों में मेकर प्रोग्राम की सफलता से हम काफी उत्साहित हैं और साथ ही अन्य गतिविधियों से भी हमारे प्रयासों को बल मिला है। अब हम टियर-2 और टियर-3 शहरों से अच्छे इंजीनियरिंग टैलेंट पर फोकस करने की तैयारी कर रहे हैं। हमने पाया है कि हैदराबाद में टैलेंट की कोई कमी नही है। उनके अपने शहर में एक ट्रेनिंग सेंटर यहां से आने वाले उम्मीदवारों के लिए काफी सहायक होगा। इसके साथ ही पुणे एक ऐसा शहर है जहां पर बेहतर कॅरिअर की तलाश कर रहे टियर-2 और टियर-3 क्षेत्रों से आए उम्मीदवारों की कमी नहीं है।”


 उन्होंने आगे कहा कि “ब्रजिलैब ने अन्य प्रोग्राम के लिए एम्पालॅयबिलिटी पार्टनर के तौर पर इकोनॉमिक टाइम्स और अपग्रैड से साझेदारी की है। फिलहाल यह भारत और विदेश में भी ऐसी साझेदारी के विकल्पों की खोज कर रहा है। इसके अलावा बेहतर टैलेंट की तलाश में कंपनी अपने कोडिंगकैफे प्रोग्राम का भी ऑनलाइन विस्तार कर रही है। इसके साथ ही कंपनी दक्षिण  भारतीय कॉलेजों के साथ भी टाईअप करेगी ताकि क्षेत्र के फ्रेश इंजीनियर को फंडामेंटल कोडिंग की ट्रेनिंग दी जा सके और बेहतर कॅरिअर बना सकें।


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