80% भारतीय माताओं को ब्रेकफास्ट पकाना पसंद नहीं

नाश्ता बनाना एक कला है और हर परिवार में मां एक कलाकार से कम नहीं होती। नाश्ते को सबसे महत्वपूर्ण नियमित आहार माना जाता है। लेकिन व्यस्त सुबह के उन्माद में क्या किसी कलाकार के लिए नाश्ता बनाने में अपना श्रेष्ठ प्रदर्शन करने का मौका मिलता है? इस बारे में सही स्थिति का पता लगाने के लिए देश के प्रमुख इलेक्ट्रिक अप्लायंस ब्रांड वी-गार्ड ने भारत के सबसे बड़े यूजर-जनरेटेड कंटेंट प्लेटफ़ॉर्म मॉमस्प्रेसो.कॉम (Momspresso.com) के साथ भागीदारी की है। मॉमस्प्रेसो एक ऐसा प्लेटफार्म है जो महिलाओं को दस भाषाओं में टेक्स्ट, ऑडियो और वीडियो सहित विभिन्न फॉर्मेट्स में खुद को व्यक्त करने की अनुमति देता है। दोनों ने मिलकर 500 भारतीय माताओं के बीच राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण किया। इसका उद्देश्य सुबह के नाश्ते की तैयारी के रुटीन को समझना था। सभी जानते हैं कि यह वक्त हर घरमें बहुत तनावपूर्ण होता है, क्योंकि माताओं को अपने बच्चों को स्कूल के लिए तैयार करने के साथ-साथ नाश्ता तैयार करना होता है और घर-गृहस्थी व रसोई से जुड़े सभी सुबह के महत्वपूर्ण कामों को भी करना होता है।



प्लेटफार्म ने खुलासा किया कि भारत में 80% माताओं के लिए नाश्ता तैयार करना उनके पसंदीदा क्षणों में से एक नहीं है। सुबह के समय बहुत-से काम करने होते हैं और बहुत मांग रहती हैं, ऐसे में 84% माताओं को रसोई की गतिविधियां उस समय का सबसे अधिक तनावपूर्ण हिस्सा लगती हैं। सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि 10 में से 8 माताओं को लगता है कि नाश्ते के विकल्प सीमित हैं और वे हमेशा वैराइटी की तलाश में रहती हैं क्योंकि हर व्यक्ति हर दिन एक जैसी चीजें खाने से ऊब जाता है। ज्यादातर माताएं अपने बनाए नाश्ते से संतुष्ट नहीं होती है और उनमें से लगभग 30% का सोचना है कि सबसे बड़ी चुनौती यह तय करना होता है कि बनाना क्या है और इसी वजह से यह क्षण मजेदार नहीं रह जाते। इनमें से 80% महिलाएं चाहती हैं कि उन्हें नाश्ता तैयार करने में अधिक मदद मिले, क्योंकि 10 में से 7 माताएं पूरे दिन का भोजन खुद ही बनाती हैं और उन्हें इन कार्यों में बहुत कम मदद मिल पाती है। दिलचस्प बात यह है कि सर्वेक्षण में यह भी सामने आया कि भारत में 10 में से 7 माताओं को उम्मीद रहती है कि उनके पति रसोई के काम में उनकी मदद करेंगे।


वी-गार्ड इंडस्ट्रीज लिमिटेड के डायरेक्टर और सीओओ वी रामचंद्रन ने कहा, "इस सर्वेक्षण से हमें रसोई में भारतीय माताओं के अनुभव को समझने में बहुत मदद की है। हम समझ रहे हैं कि उन्हें किस तरह की मदद की जरूरत है, खासकर सुबह का नाश्ते की तैयारी के लिए। वास्तव में, हमारा मानना है कि खाना पकाना पूरे परिवार को बांधकर रखने वाले सबसे अच्छे क्षणों में से एक है और हमारे उपकरणों की रेंज इसके लिए माहौल बनाती है। इसमें दक्षता, सुविधा और सभी के लिए इस्तेमाल में आसान होने का सही कॉम्बिनेशन है। इसके अलावा, यह देखते हुए कि 80% माताएं नाश्ते के लिए नए व्यंजन की कोशिश करने को तैयार हैं और उनके पास नाश्ते की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त उपकरण नहीं हैं, वी-गार्ड ने अप्लायंसेस की एक नई रेंज लॉन्च की है जो सभी को अपने नाश्ते की जरूरतें पूरी करने और प्रयोग करने में मदद कर सकती हैं वह भी तनाव को कम करते हुए इस प्रक्रिया को मजेदार बनाते हुए।”


सर्वेक्षण के निष्कर्षों पर बोलते हुए  मॉमस्प्रेसो डॉट कॉम के सह-संस्थापक और सीईओ विशाल गुप्ता ने कहा, "यह सर्वेक्षण भारतीय माताओं के तनाव के सबसे स्पष्ट पॉइंट को सामने लाता है - सुबह की व्यस्त दिनचर्या के दौरान सबकुछ किस तरह मां के ऊपर आ जाता है। हम बहुत खुश हैं कि हम कुछ ऐसा सामने लाने में सक्षम हुए जिसे शायद ही कभी खुले तौर पर व्यक्त किया गया होगा। लेकिन यह बुनियादी रूप से माँ ही है, जो मुश्किलों का सामना करती है- 80% भारतीय माताओं को लगता है कि नाश्ते की तैयारी और रसोई के अन्य काम करने में उन्हें अतिरिक्त मदद मिलनी चाहिए। वास्तव में 10 में से 7 उत्तरदाताओं ने पति से उम्मीद की किवे रसोई के काम में उनकी मदद करेंगे। हमें यकीन है कि इस सर्वे रिपोर्ट के जरिये हम एक बातचीत को बढ़ावा देंगे और इस विषय पर चर्चा शुरू कर सकते हैं कि माताओं को क्या चाहिए और वह अपने परिवार से क्या उम्मीद करती हैं और  आखिरकार उनके परिवार के लिए दिन का सबसे महत्वपूर्ण आहार कैसे तनाव-मुक्त अनुभव बन सकता है।"


यह सर्वेक्षण इंटरनेट के बढ़ते प्रभाव को भी रेखांकित करता है और यह पाया गया कि 70% से अधिक माताओं ने इंटरनेट पर खाना पकाने के ट्यूटोरियल से प्रेरणा ली, जबकि 55% माताओं ने सोशल मीडिया पर सेलिब्रिटी शेफ को फॉलो किया। इसके अलावा, माताओं को सोशल मीडिया के जरिये परिवार और दोस्तों के साथ अपने खाना पकाने के अनुभवों को साझा करने में मजा आता है और इसके लिए मीडिया के तौर पर सबसे अधिक इस्तेमाल व्हाट्सएप का होता है, जिसके बाद  इंस्टाग्राम आता है। नाश्ता पकाने को भारतीय माताओं की पसंद में बदलने के लिए, और कलाकार के लिए कला को अधिक मज़ेदार बनाने की आवश्यकता है। इसका मतलब है घर पर जिम्मेदारियों का बराबर बंटवारा, स्मार्ट अप्लायंसेस की उपलब्धता और सीखने व साझा करने के लिए इंटरनेट का विवेकपूर्ण उपयोग।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर