होली मिलन की न होकर विरह में परिवर्तित होती नजर आ रही है

होली वर्ष 2020 की होली मिलन की न होकर विरह में परिवर्तित होती नजर आ रही है। पहले ही इन दिनों मन में
बेमतलब का विषाद एक दूसरे के लिये भर चुका है बेशक अस्थाई ही सही किन्तु भरा तो है , दूसरे ये कोरोना वायरस , मिलन का दुश्मन हमारे समक्ष चुनौती बनकर खड़ा हो गया है । 



देखो न , होली आने को आतुर है और वायरस के आदेशानुसार गले मिलना तो दूर की बात, हाथ भी नहीं मिलाना । 
वाह । सच है कितना भी पढ़ लें , विज्ञान को जान लें , कितना भी आगे निकल जायें हम मगर पृकृति की चुनौतियों से मुकाबला करने के लिये कोई न कोई कमी रह ही जाती है यानि पूर्णतः सक्षम नहीं हैंं । चीन जो विश्व में तकनीकी क्षेत्र में अग्रणी है वह भी कोरोना को अब तक पछाड़ नहीं पाया और कोरोना अपना प्रभाव विश्व को दिखा रहा है। अब देखो ना यहां भारत में गरम वस्त्र अपने ठिकाने चले गये तो वायरस कहता है वापस बुलाओ अन्यथा मैं रहूंगा, यानि कोरोना को गर्मी में रहना पसन्द नहीं है । 
चलिये, हम हार नहीं मानेंगे कोरोना हमसे खेलना चाह्ता है


इस होली पर तो ऐसा ही सही हम इसके लिये विशेष रंग लाएंगें। ये इस प्यार की होली में भंग डाल रहा है किन्तु हम भी कम नहीं हैं इसे भगाकर मानेंगे। हम लायेंगे सेंटेसाइजर जिससे इसको बार- बार भिगोयेंगे , हम लाएंगे हरा पीला डीटॉल, हम लाएंगे कपूर की टिक्की जिसकी खुश्बू इसे पसन्द नहीं है , हम लाएंगे मास्क ताकि  ये हमारा चेहरा भी न देख पाये क्यूँ कि इसको हमारा चेहरा पसन्द नहीं है , हमें भी तो यह बिल्कुल पसन्द नहीं । इसको भीड़ पसन्द है इसलिये हम भीड़ से अलग अपने घर में ही रहेंगे । बच्चों को बहला कर कोई नुकसान न पहुंचाये इसलिये सरकार ने छोटे बच्चों के स्कूल बंद कर दिये हैं । सुरक्षा व स्वास्थ्य अति आवश्यक है। देखा जाय तो इस आपदा से हमें खुद निपटना है आओ इस होली को सुख -शान्ति व सुरक्षा के साथ मनाया जाए।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

प्रदेश स्तर पर यूनियन ने मनाया एआईबीईए का 79वा स्थापना दिवस

वाणी का डिक्टेटर – कबीर