सुरेखा शर्मा (स्वतन्त्र लेखन/समीक्षक)
नारायण •••नारायण •• "माते! यह मैं क्या देख रहा हूं ••! जगत की चिंता दूर करने वाली माँ चिन्तपूर्णी आज स्वयं चिन्तित हैं •••क्या बात है माँ ,आप किस दुविधा में हैं ?" माँ दुर्गा कुछ विचार करते हुए बोली, 'तुम नहीं समझोगे नारद ।' "माते,जब तक आप कुछ बताएंगी नहीं तो मैं कैसे समझूंगा भला ," नारायण ••••नारायण । " तुम जानते हो नारद, आजकल भूलोक वासी पूजा-पाठ बहुत करने लगे हैं । मेरे भक्तों की संख्या दिन- पर -दिन बढ़ती जा रही है । तुम देखना आने वाले इन नौ दिनों में तो चारों ओर मेरा ही गुणगान किया जाएगा । भूखे- प्यासे रहकर उपवास कर नवरात्र अनुष्ठान संपन्न करेंगे । उपवास तो कहने मात्र के लिए होते हैं, सारा दिन फलाहार के नाम पर इतना खाते हैं कि पूछो मत।"
ना••रायण••••नारायण, "पर माते,इसमें चिंता की क्या बात है, बल्कि आप को तो प्रसन्न होना चाहिए कि पृथ्वी वासी आपकी भक्ति में डूबने लगे हैं। वे जानते हैंं कि आपकी पूजा से ही उनका कल्याण होगा। "
"वो कैसे मां? "
"नारायण....ना..रायण ,मां अब यह भी समझा ही दीजिए कि जागरण अथार्त आपकी पूजा करके पाप घटेंगे या बढ़ेंगे ....।"
' सुनो नारद,तुम तो सब जगह भ्रमण करते हो।तुुम्हे भूलोकवासियों को जाकर समझाना होगा कि जब भी कोई पूजा अनुष्ठान करें तो सड़कों पर,चोराहों पर,गली कूचों में मूर्ति स्थापना ना करें,पर्यावरण दूषित ना करें ,तेज आवाज में कर्ण -वेधी संगीत ना बजाएं।ध्वनि प्रदूषण से बीमार बच्चों, वृद्धों को बहुत कष्ट होता है ।मूर्तियां' प्लास्टिक या रंग-बिरंगे रासायनिक पदार्थों से ना बनवाएं।मिट्टी की मूर्तियों का प्रयोग करें।विसर्जित करते समय नदियों में कूड़ा -कचरा ना डाले।खण्डित मूर्तियां पेड़ों के नीचे या इधर-उधर ना फेंकें ,जिन मूर्तियों की वह पूजा करता है उन्हीं मूर्तियों को पैरों तले रौंदने के लिए फैंक दिया जाता हैं।पता नहीं यह कैसी परम्परा बना ली है कि जो भी पूजा सामग्री हो या खंडित मूर्ति हो उसे पीपल के पेड़ के नीचे रख दो । अब तुम ही बताओ ,यह कैसी श्रद्धा भक्ति है ? कैसी पूजा है ? यही स्थिति रही तो इन भूलोक वासियों का सांस लेना भी कठिन हो जाएगा ।ऐसा करके ये मानव स्वयं अपने हाथों अपना सर्वनाश करने पर तुला है।
"माते! आप सत्य कह रही हो, मैं शीघ्र ही पृथ्वीलोक के लिए प्रस्थान करता हूं और मानव को आपका संदेश पहुंचाकर आता हूँ । .....आप चिन्तित न हों। "नारायण...ना....रायण।