ऐ मां तुमको  कोटि-कोटि नमन


विजय सिंह बिष्ट


ऐ मां तेरी गोदी से जन्में,
तुमने ही हमको पनपाया।
खिले तुम्हारे आंगन में,
भांति भांति के रूपों में पाया।
ऐ मां तुमको  कोटि-कोटि नमन।।


तेरी मिट्टी में अमृत भरा है,
हर श्रृंगार से हमें सजाया,
कितनी पीयूष शक्ति है मां,
तेरे रंगों में जो हमने पाया।
ऐ मां तुझे शत् शत् नमन।


गर्जन तर्जन में भी जन्मे,
नया रूप दे हमें उगाया।
इंद्रधनुषी रूप निखारा,
भांति भांति से हमें पुकारा।


हर बीज में भ्रूण छिपा है,
नृत्य करता वह धरती में आया।
हवा ,पानी ,गर्मी ने फिर उसे जगाया।
रत्न गर्भा मां तेरी अनोखी माया।
उससे ही हम सबने जीवन पाया।
 ऐ धरणी मां शत् शत् नमन।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

राजस्थान चैम्बर युवा महिलाओं की प्रतिभाओं को पुरस्कार