आज के भागते दौड़ते जीवन में निसंतानता एक गंभीर विषय

नई दिल्ली । आज के इस भागते दौड़ते जीवन में निसंतानता भी एक गंभीर विषय बनता जा रहा है। डॉक्टरों के माने तो इस बिमारी के पीछे कई कारण होते है, जैसे के हमारा खान पान, वातावरण, पारिवारिक कारण और सबसे बड़ा कारण होता है, “स्ट्रेस” जो कि आज के इस समय में हर दूसरा व्यक्ति इससे जूझ रहा है। इसी गंभीर बीमारी के लिए आशा आयुर्वेदा के डॉक्टर चंचल शर्मा बताती है कि हमारे आयुर्वेद में निसंतानता का सफल इलाज आज से नहीं पुराने काल से चला आ रहा है। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि आयुर्वेद का 90 फ़ीसदी से भी ज्यादा सफल रेट है, वंही गूगल के मुताबिक आईवीएफ का सफल रेट सिर्फ 30 फीसदी है। 



कहा जाता है कि बच्चे भगवान का रूप होते है, जिस घर में बच्चों की किलकारियाँ गूँजती है वह घर खुशियों से चहक उठता है। हर स्त्री को जीवन की सबसे बड़ी ख़ुशी तब मिलती है जब उसे पता चलता है की वह "माँ बनने वाली है", हर नए नवेले शादीशुदा जोड़े को आशीर्वाद के रूप में कहा जाता है दूधो नहाओ फूलो फलो जिसका अर्थ होता हैं दूध से नहाना और पोते यानी कि पुत्र के भी पुत्र के द्वारा सेवा का सुख भोगना। इस एक आर्शीवाद में जीवन का बहुत बड़ा सुख छिपा है, क्योंकि दूध से नहाने वाला इंसान निश्चित ही समृद्ध होगा। बिना समृद्धि के दूध से स्नान की बात सोची ही नहीं जा सकती है साथ ही यदि इंसान अपने पोते का सुख भोगता है तो वह उसके लिए परम सुख की प्राप्ति होती है। हर नव विवाहित जोड़े को यह आशीर्वाद इसलिए दिया जाता है ताकि इन्ही शुभकामाओं की वजह से उनके घर के आँगन में एक नन्हे-मुन्हे बच्चे की किलकारियां गूंजे। हम चाहे कितने ही परेशां क्यों न हो पर एक बच्चे के साथ समय बिताने से सभी चिंताएँ दूर हो जाती है। 


लेकिन आज बहुत से विवाहित जोड़े ऐसे है जो सालों के प्रयास के बाद भी परम संतान सुख से वंचित है, इंडियन सोसाइटी ऑफ़ असिस्टेड रिप्रोडक्शन के मुताबिक भारत की 10-14% आबादी संतान सुख पाने बांझपन का शिकार है, जिसकी वजह से उनके घर का आँगन कई सालों से सुना है। वह संतान सुख की प्राप्ति के लिए मेहेंगे से मेहेंगे एलॉपैथी इलाज जैसे आई वी एफ, आई यू आई करवा चुके है, लेकिन इतनी कोशिशों और पैसे व्यर्थ करने के बाद भी कोई परिणाम नहीं मिला। 


लेकिन अब आपको चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है, वो कहते है ना की अगर एक रास्ता बंद हो जाता है तो दूसरा रास्ता अपने आप खुल जाता है अगर एलॉपैथी में कोई इलाज नहीं है तो क्या हुआ? आयुर्वेद है ना, सुनने में थोड़ा अजीब लगता है की आयुर्वेद से बाँझपन का इलाज लेकिन ऐसा आशा आयुर्वेदा ने यह मुमकिन कर दिखाया है। आशा आयुर्वेदा ने बहुत से चिंतित लोगों के जीवन में आशा की किरण जगाई है। यहाँ आई वी एफ जैसे इलाज में भी यह लोग केवल आयुर्वेदिक दवाईयों का ही प्रयोग करते है। यहाँ पर आई वी एफ जैसा इलाज प्राइवेट अस्पताल के मुकाबले बहुत ही कम फीस में किया जाता है। आशा आयुर्वेदा दावा करता है कि जहाँ एलॉपैथी में सफलता दर केवल 20-30% होती है वही आयुर्वेदा में सफलता दर 90% होती है। आशा आयुर्वेदा ने आज तक हज़ारों लोगों को संतान का सुख प्रदान किया है। आशा आयुर्वेदा की स्थापना 2014 में डॉ. चंचल शर्मा द्वारा हुई , इन्हें आयुर्वेद से इलाज करने में 8 सालों से भी अधिक का अनुभव है। 


डॉ. चंचल शर्मा का कहना है कि "आज कल लोगों की जीवन शैली ऐसी हो गई है कि उन्हें कुछ ऐसी बीमारियाँ होती है जिन्हें शुरू में तो वह नज़रअंदाज़ करते है लेकिन बाद में फिर उनका गर्भधारण पर गहरा असर पड़ता है। उनकी कोशिश है की वह हर जोड़े को संतान का सुख प्रदान करें।" 


लता सैनी, नई दिल्ली : हम लोग पिछले 11 सालों से निसंतानता से जूझ रहे थे, मेने पिछले 2005 से ही इसका इलाज शुरू कर दिया था। आईवीएफ जैसे सभी इलाज करवाए लेकिन हम सफल नहीं हुए और लाखों रूपए बर्बाद हो गए। हमारी आमदनी इतनी नहीं है लेकिन संतान की चाहत में करना पड़ा, लेकिन अब आयुर्वेदिक इलाज से मेरा गर्भ धारण भी हो गया और वह भी बहुत कम पैसों में। डॉ. चंचल शर्मा ने अपना बीएएमएस आयुर्वेदा और यूनानि कॉलेज पूरी की अथवा एन आई एम एस से पोस्ट ग्रेजुएशन (BAMS) हासिल किया। इन्होनें आयुर्वेद से बांझपन के इलाज में स्पेशलिटी दिल्ली में हासिल की और स्त्री रोग सम्बन्धी विकार की शिक्षा राष्ट्रीय गुरु वैद्यों से प्राप्त की। इन्होने महाराष्ट्र मे आयुर्वेदिक गायनेकोलोजी की पढ़ाई पूरी की। आशा आयुर्वेदा की पूरी टीम डॉ. चंचल के निर्देशन में काम करती है और लोगों को अच्छे से अच्छा आयुर्वेदिक इलाज और पंचकर्मा इलाज प्रदान करते है।   


आशा आयुर्वेदा में न केवल बाँझपन बल्कि और भी बहुत सी स्त्री रोग  बिमारियाँ जैसे नलों बंद होना (Tubal Blockage), पीसीओडी/पीसीओएस, एंडोमेट्रिओसिस, लोव AMH, बीज संस्कार, पुरुष सम्बंधित बाँझपन, आदि का इलाज आयुर्वेद की मदद से किया जाता है।


आशा आयुर्वेदा और पंचकर्मा सेंटर में शोधना और शमना चिकित्सा से इलाज होता है। शोधना चिकित्सा में पंचकर्मा द्वारा इलाज होता है और शमना में शुद्ध आयुर्वेदिक दवाइयों से, आजकल ये चलन होगया है कि लोग आयुर्वेदिक सेंटर जाने के बदले कोई भी आयुर्वेदिक वेबसाइट पर देख के इलाज करना शुरू कर देते है जो कि बिलकुल गलत है क्योंकि सबका शरीर अलग होता है। आयुर्वेदा कोई एलोपैथी की तरह बना बनाया इलाज नहीं है यह शुद्ध प्राकर्तिक इलाज है जिसमे शरीर के मुताबिक दवाईयाँ दी जाती है। फिलहाल आशा आयुर्वेदा के दिल्ली और मुम्बई में सेन्टर है, बहुत जल्द ही और शहर में भी सेन्टर खुलंगे।


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

ग्रासरूट लीडरशिप फेस्टिवल में भेदभाव, छुआछूत, महिला अत्याचार पर 37 जिलों ने उठाये मुद्दे

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

घरेलू कामगार महिलाओं ने सामाजिक सुरक्षा का लाभ मांगा, कहा हमें श्रमिक का दर्जा मिले