मास्टर आदिल रियाज़ का शिक्षा जगत में रहा है महत्वपूर्ण योगदान

नई दिल्ली - इस कोरोना महामारी ने बहुत से दुख दिए हैं जिनकी भरपाई अब नामुमकिन है ऐसी ही एक  शख़्सियत थे मास्टर आदिल रियाज सैफ़ी । जिनका निधन विगत 23 जून को एम्स हॉस्पिटल में कोरोना की बीमारी से लड़ते उपचार के दौरान हो गया था। आप 58 साल के थे, आपका जन्म 12 अगस्त सन 1962 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ था  आपने प्राथमिक तथा इन्टर की  शिक्षा मेरठ से ही प्राप्त की उसके बाद आपने जामिया मिलिया इस्लामिया से उच्च शिक्षा प्राप्त की और फिर आप पहले उत्तर प्रदेश में शिक्षक के तौर पर नौकरी पर लगे उसके बाद  दिल्ली में यमुना विहार के नगर निगम विद्यालय में लंबे समय तक शिक्षक के रूप में कार्य किया तदोपरांत तरक्क़ी होकर आप एक सरकारी विद्यालय में प्रधानाचार्य पद पर कार्यरत थे।



आप जब भी किसी से मिलते थे तो बहुत ही प्यार से मिलते, नरम रवैया , ख़ुश अख़लाक,  ख़ुश मिज़ाज शख्सियत के मालिक आदिल रियाज वाक़ई में अपने नाम के मुताबिक एक गुलिस्तान थे एक चमन थे एक शख्सियत में बहुत सारी खूबियां पाई जाती थीं वाक़ई आपके चले जाने से शिक्षा जगत को बहुत बड़ा नुकसान हुआ है । इनके बेटे सफ़दर रियाज़ ने बताया कि आपको  30 मई को एम्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था । जहाँ  इनकी हालत दिन ब दिन नाज़ुक होती चली गई और अंततः इस दुनिया ए फ़ानी से कूच कर गए ।


मास्टर आदिल रियाज़ का अचानक दुनिया से अल विदा कह जाना नाक़ाबिल ए बर्दाश्त  है। आप के निधन की ख़बर जैसे ही लोगों को लगी लोग काफी देर तक आंखें बंद किये हुए यही सोचते रहे कि ऐसा कैसे हो सकता है ! ये ख़बर किसी के भी गले नहीं उतर रही थी  यक़ीन नहीं हो रहा था कि एक मर्द ए मुजाहिद इतनी जल्दी हार जाएगा । आपकी पत्नी यासमीन रियाज़ इस समय बहुत बड़े सदमे में हैं।इनके बेटे और बेटियाँ और दोस्त अहबाब भी ग़म में निढाल हैं ।


शिक्षा के क्षेत्र में आपने बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य  किए जिसके लिए आप सदैव जाने जाते रहेंगे , गोया कि ख़िदमत का दूसरा नाम थे मास्टर आदिल रियाज़! अपने आप में एक तहरीक थे मिशन थे  और एक अंजुमन थे, शिक्षा के प्रचार प्रसार और जागरूक अभियान के लिए अपने आप को समर्पित कर रखा था। आप अधिकतर समय समाज में शैक्षिक तथा सामाजिक सुधार लाने के लिए चिंतन मनन तथा मंथन में लगाते और फिर ज़मीनी स्तर पर काम करते। आप विशेषकर कम आय के परिवारों के बच्चों को अच्छी   शिक्षा को लेकर काफी चिंतित थे इस ख़्वाब को हक़ीक़त में बदलने के लिए आपने जदीद फाउंडेशन ट्रस्ट की नींव डाली जिसके अंतर्गत नॉर्थ घोंडा में 3 स्कूलों ने जन्म लिया जिनमें मजीदिया मॉडल स्कूल, मजीदिया प्ले स्कूल प्रमुख हैं आप ने लॉक डाउन में भी  हज़ारों लोगों को राशन तक़सीम कर  मदद पहुंचाई तथा ईद पर आपने ईद किट तक़सीम कर के भी बहुत बड़े पुन्य का काम किया ।  आपने अपने बच्चों का लालन पोषण बहुत ही अच्छा किया उन्हें अच्छी शिक्षा देने में कोई कसर नहीं छोड़ी जिसके फलस्वरूप सभी कामयाब हैं ।


आपने सामाजिक बुराइयों तथा शैक्षिक मार्गदर्शन, धार्मिक आदि विषयों पर कई पुस्तकों का संपादन और संकलन किया जो कि देश के युवा वर्ग विशेष कर मुस्लिम समाज को रास्ता दिखाने के काम आने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। आईटीओ स्थित जदीद क़ब्रिस्तान  में आपको सुपुर्द ए ख़ाक किया गया जिसमें आपके बेटे,भाई सहित परिवार के सदस्यों, स्कूल के सहकर्मी, बहुत क़रीबी रिश्तेदार तथा जदीद फ़ाऊण्डेशन ट्रस्ट के मेम्बर डाॅक्टर इलियास सैफ़ी, मास्टर अली शेर सैफ़ी आदि भी मौजूद रहे । नमाज़े जनाज़ा में लोगों ने रो रो कर पुर नम आंखों से आपके लिए दुआ ए मग़फ़िरत की ।


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