एक शाम सुपरिचित कवि, लेखक, अनुवादक, संपादक और समीक्षक सुरेश सलिल के नाम
० ओम पीयूष ० नयी दिल्ली- प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित अपने जीवन के इक्यासीवें सोपान को स्पर्श कर रहे सुपरिचित कवि, लेखक, अनुवादक, संपादक और समीक्षक सुरेश सलिल ने जीवन सफ़र की ऊबड़- खाबड़ या यूं कहें टेढ़ीमेढ़ी पगडंडियों पर अपने सधे कदम अदम्य हिम्मत से आगे बढ़ाते हुए अपनी रचनात्मक जिजीविषा का विशिष्ट आयाम गढ़ने में अप्रतिम कामयाबी हासिल की है। विगत साठ साल से लेखन की श्रम साधना में वह सतत संलग्न हैं। 19 जून 1942 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद के ग्राम गंगादासपुर में जन्मे सुरेश सलिल ने भिन्न भिन्न पत्र पत्रिकाओं में काम करने के अतिरिक्त पांच साल 1983-87 तक पाक्षिक युवक धारा का संपादन किया।साठोत्तरी कविता 1967 में एक कवि के बतौर प्रथम प्रस्तुति और जापानी साहित्य की झलक में भी वह सहभागी बने। इसके बाद उनके छः कविता संग्रह तथा एक गद्य संग्रह पढ़ते हुए प्रकाशित हुए। इसके अतिरिक्त बीसवीं सदी के विश्व कविता का संचयन रोशनी की खिड़कियाँ तथा नाज़िम हिकमत, पाब्लो नेरूदा, लोर्का, इशिकाना, ताब्सुबोकु (जापानी) , निकोलास गीयेन, हंस माग्नुस, एन्तसेन्स, बर्गर कवाफी के काव्यानुबादों के संचयन स्वतंत
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