प्रणेता साहित्य संस्थान का चतुर्थ स्थापना दिवस महोत्सव के उपलक्ष्य में ऑनलाइन काव्य गोष्ठी

नयी दिल्ली - प्रणेता साहित्य संस्थान का चतुर्थ स्थापना दिवस महोत्सव के उपलक्ष में एक ऑनलाइन काव्य गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन  किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवयित्री पुष्पा शर्मा "कुसुम" (सेवानिवृत हिंदी व्याख्याता राजस्थान शिक्षा विभाग) ने की। वीणा अग्रवाल ने संचालन की कमान बड़ी कुशलतापूर्वक संभाली। मुख्य अतिथि सत्येन्द्र सत्यार्थी, कवि ,लेखक,वरिष्ठ उपाध्यक्ष,दिनकर सोसाइटी दिल्ली व भारतीय नेत्रहीन कल्याण परिषद् ,दिल्ली रहे। विशिष्ट अतिथि  गोविंद सिंह पवार,रचनाकार,पत्रकार थे । महासचिव (अखिल भारतीय साहित्य सदन) उप सचिव( दिल्ली मीडिया ऐसोसिएशन) कर्नल प्रवीणशंकर त्रिपाठी रहे।



माँ शारदे को माल्यार्पण व दीप प्रज्वलन के बादअतिथि स्वागत के साथ कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ हुआ। प्रणेता अध्यक्ष सुषमा भण्डारी ने माँ शारदा वंदना "माँ शारदे सुविचार दे" की मधुर स्वरों में प्रस्तुति दी। तत्पश्चात संस्थान के संस्थापक एवं महासचिव एस जी एस सिसोदिय द्वारा प्रणेता साहित्य संस्थान का परिचय दिया गया व संस्थान की गतिविधियों से परिचित कराया गया।उन्होंने कहा कि वरिष्ठ व कनिष्ठ रचनाकारों को मंच प्रदान कर साहित्य की उन्नत्ति में सहयोग करना ही हमारा लक्ष्य है। साथ ही प्रणेता द्वारा साझा संकलन भाग एक के सफल प्रकाशन की चर्चा करते हुए प्रणेता काव्य संकलन भाग दो के प्रकाशन की आशा  भी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि वे अपने माता पिता तुल्य स्व. सास ससुर जी की स्मृति में हर वर्ष काव्यगोष्ठी या काव्य प्रतियोगिता के जरिये 5100 रु .की राशि के पुरस्कार प्रदान करते हैं।



काव्यगोष्ठी में विभिन्न प्रांतों के   लगभग 40 रचनाकारों ने अपनी प्रस्तुति से विभिन्न भावों की धाराओं से सबको रससिक्त कर दिया। कहीं बधाई,कहीं शृंगार कहीं प्रकृति सौंदर्य तो कहीं सामयिक समस्याओं व देशभक्ति की रचनाओं ने काव्य गोष्ठी में अपना रंग जमाया ।सभी की सक्रिय प्रतिक्रिया व तालियों की गड़गडाहट ने ऐसा समा बाँधा कि लगा सब एक हाॅल में बैठे हैं। प्रणेता के महासचिव सिसोदिया ने "वो कहते नहीं थकते हर ओर उजाला है। पर देता नहीं दिखाई ऐसा भरम में डाला है।



" मुख्य अतिथि सत्येंद्र सत्यार्थी ने "माता भारती की दुर्दशा को देखकर ,आज मेरी लेखनी की आँख भर आई है। विशिष्ट अतिथि कर्नल प्रवीण शंकर त्रिपाठी ने  " भाव गूँथ कर लय में ढ़ाले  उसको कविता कहते हैं। हृदय भाव कागज पर उतरे उसको कविता कहते हैं ,की भावमय प्रस्तुति दी। साथ ही सुषमा भण्डारी (संस्थान अध्यक्षा) शकुन्तला मित्तल ( उपाध्यक्षा ) चंचल पाहुजा(सचिव) और संचालक मंडल में पुष्पा शर्मा "कुसुम" सरिता गुप्ता डाक्टरभावना शुक्ल, कुसुम लता, "कुसुम" पुण्डोरा ने भी अपनी काव्य प्रस्तुति दी। अंत में  मुख्य अतिथि सत्येन्द्र सत्यार्थी ने छंदबद्ध रचना सृजन हेतु छंद सृजन में सिद्ध कवि का मार्गदर्शन लेने का परामर्श दिया। विशिष्ट अतिथ गोविन्द सिंह और कर्नल प्रवीण  शंकर त्रिपाठी ने सभी रचनाकारों की प्रशंसा कर उनका मनोबल बढ़ाया।



आयोजन की अध्यक्षा पुष्पा शर्मा 'कुसुम' ने सबको अपनी शुभकामनाएँ और आशीर्वाद दिया। संस्थान की उपाध्यक्षा शकुंतला मित्तल ने सभी अतिथियों,रचनाकारों और आयोजन की अध्यक्षा का आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम की रिपोर्ट  प्रणेता अध्यक्षा सुषमा भंडारी ने विशेष रूप से काव्यात्मक ढंग से प्रस्तुत की।

लागा चौथे साल में 
प्रणेता संस्थान ।
नन्ही सी इस पौध पर
फैली है मुस्कान।।


कोविड उन्नीस हर जगह
आशंकित प्रत्येक ।
जन्मदिवस कैसे मने
खायें कैसे केक। ।


ऑनलाइन हो गोष्ठी
सब का यही विचार। 
संचालन अति सभ्य हो 
साहित्यक परिवार।।


सुषमा करती वंदना
देना माँ वरदान ।
स्वर देवी माँ शारदे 
शब्दों में भर प्राण ।।


मात शारदे आपको
मंच करे प्रणाम ।
माल्यार्पण शारदे 
दी है सुंदर शाम।।


विशिष्ट अतिथि देवभव
किया मान- सम्मान
पुष्प- गुच्छ के संग में 
भेंट करी मुस्कान।।


नौ जून सन्ध्या समय 
हुआ समारोह तय।
वीणा जी के तार पर
हुई कवियों की लय। ।


परिचय संस्था का दिया 
निर्मल भावों संग ।
एस जी एस श्री मान जी
चढ़ा साहित्यिक रंग। ।


चालिस रचनाकार थे
विविध विधाओं संग ।
शब्द- शब्द मोती हुये 
खूब बिखेरे रंग। ।


हुई ऑडियो गोष्ठी
शब्द - स्वरों की धूम ।
मस्ती का आलम हुआ
रहे श्रोता झूम ।।


वीणा अग्रवाल जी
प्रभावी व्यक्तित्व।
पूर्ण कुशलतापूर्वक
संचालन दायित्व ।।


अब सम्मानित मंच ने 
दिया नेह- आशीष ।
गद- गद प्रणेता हुआ
उंचा हो गया शीष। ।


शकुन , शगुन के तौर पर
सबको दे आभार।
भूलेगा ना शाम ये
प्रणेता परिवार।।


 


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