संकट की इस घड़ी में राज्य के लोक कलाकारों और कारीगरों को केंद्र सरकार से सहयोग का आश्वासन

कोलकाता : कोलकाता के सांस्कृतिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता संदीप भूतोरिया द्वारा देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गये पत्र के जवाब में केंद्र सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्री (आईसी) प्रह्लाद सिंह पटेल की तरफ से पत्र के जवाब में आश्वासन दिया गया है कि केंद्र सरकार उन गरीब लोक कलाकारों और कारीगरों की मदद के लिए उपयुक्त उपाय करेगी जो कोविड-19 महामारी के दौरान भारी मुसीबतों के दौर से गुजर रहे हैं।



भूतोरिया ने एक पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने राज्य में रहनेवाले हजारों गरीब छोटे-बड़े चित्रकारों एवं कलाकारों की दुर्दशा की जानकारी देते हुए तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की थी। ये कलाकार भारतीय कला, संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए अपनी विरासत में मिले आजीविका चला रहे हैं। प्रह्लाद सिंह पटेल ने भूतोरिया को एक आधिकारिक पत्र में लिखा है कि: केंद्र सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की तरफ से देशभर के क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्रों को निर्देश दिया गया है कि वे ऐसे कलाकारों और कारीगरों की सूची तैयार करें, जिनकी जीविका पूरी तरह से प्रभावित हो गयी है और उनके नाम अभी तक सूची में शामिल नहीं किए गए हैं, इस सूची में जल्द उनके नाम जोड़े जाये।


कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय निजी संगठनों से जुड़े भूतोरिया ने कहा : मैंने प्रधान मंत्री को पत्र लिखा क्योंकि मुझे लगा कि हजारों गरीब कारीगर, लोक कलाकार एवं उनके साथ जुड़े विभिन्न कलात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों से जुड़े हुए हैं, उनके पास अपनी समस्या एवं परेशानियों की आवाज को सरकार के पास स्पष्ट करने के लिए एक उचित मंच नहीं था। मुझे खुशी है कि केंद्र सरकार ने उनके पत्र में दर्शायी गई समस्या को गंभीरता से लिया है एवं सरकार उनकी कठिनाई को कम करने के लिए कारगर कदम उठा रही हैं।


हजारों कारीगर भारतीय लोककला, संस्कृति और राज्य की विरासत को बढ़ावा देकर जीवन यापन करते हैं। ऐसे कलाकार गरीब होने के बावजूद देश की समृद्ध संस्कृति विरासत को मशाल-वाहक के तौर पर बमुश्किल जीवित रखते हैं। इस वैश्विक महामारी के दौर में हजारों ऐसे कारीगर, सांस्कृतिक कार्यकर्ता और शिल्पकार भारी कष्ट सह रहे हैं।


 भूतोरिया प्रभा खेतान फाउंडेशन के ट्रस्टी भी हैं। इस फाउंडेशन से चिर परिचित ऐसे प्रदर्शनकारी कलाकार और लेखक जुड़े हैं, जिनके साथ यह फाउंडेशन भारत के साथ-साथ विदेशों में 30 शहरों में गैर-वाणिज्यिक आधार पर कार्यक्रमों का आयोजन करता है ताकि वैश्विक स्तर पर उन्हें एक मंच प्रदान किया जा सके और भारतीय कला, संस्कृति और विरासत के निर्वाह और प्रसार में योगदान दिया जा सके। कोरोना वायरस के इस प्रकोप से उत्पन्न होनेवाला संकट राज्य में इन कलाकारों के रुप में हजारों वर्षों पहले भारत की सांस्कृतिक और निर्मित विरासत के विशाल स्वरूप के अस्तित्व को मिटा देने की आशंका को जन्म दे रहा है।


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