आज़मगढ़,गौसपुर घुरी और मुकुंदपुर में प्रवासी मजदूर सहायता अभियान के तहत मुलाकात

आज़मगढ़. प्रवासी मजदूरों की सहायता के तहत निज़ामाबाद, आज़मगढ़ के गौसपुर घुरी और मुकुंदपुर में प्रवासी मजदूरों से मुलाकात की गई. इस मुलाकात में राजीव यादव, एडवोकेट विनोद यादव, अवधेश यादव और बांकेलाल शामिल रहे. 



राजीव यादव ने बताया कि इंडिया अगैंस्ट कोरोना के सहयोग से हमारे संपर्क के आजमगढ़ के जरूरतमंद प्रवासी मजदूरों को सहायता उपलब्ध कराई गई. गौसपुर घुरी की शबाना ने अपने गांव के ऐसे जरूरतमंदों को चिन्हित किया जिनको सहायता की जरूरत थी उनको मदद पहुँचाई गई, आज उनसे मुलाकात भी की गई. इस मुलाकात के दौरान बहुत से प्रवासी मजदूर मिले जिन्हें किसी भी प्रकार की सरकारी मदद नहीं मिली.


गौसपुर घुरी के रामकेश ने बताया कि उन्हें राशन किट मिली पर आज तक कोई भी पैसे नहीं मिले, वहीं प्यारेलाल और उनके बेटे राधेश्याम को नहीं राशन किट मिली नहीं कोई पैसे प्राप्त हुए.संतोष बताते हैं की उन्हें किट नहीं मिली पर एक हज़ार रुपए खाते में आएं हैं. मनोज कुमार कहते हैं कि उन्हें आज तक कुछ नहीं मिला ना कोई राशन किट ना कोई पैसे, रामाश्रय और सुजीत भी कहते हैं कोई पैसे वैसे नहीं आएं हैं. 


निज़ामाबाद के मुकुंदपुर में धनंजय से मुलाकात हुई तो उन्होंने कहा कि आज कल गैरेज का काम सीख रहे हैं. पूछने पर बताते हैं कि आईटीआई करके होंडा कम्पनी गुड़गांव में काम कर रहे थे. लॉकडाउन में पैदल गाजियाबाद और फिर बस द्वारा घर लौटे हैं. अब इस महामारी में कम्पनी बुला रही थी पर महामारी को देखते हुए जाने कि हिम्मत नहीं हुई तो कम्पनी ने निकाल दिया. अब यहीं गैरेज पर काम सीख रहें हैं. सरकार ने ना तो राशन ना ही पैसे कोई भी मदद नहीं की सब कुछ हवा हवाई है. प्रवीण मोर्या बताते हैं कि वो यहां के निवासी हैं और राशन कार्ड बनवाने के बाद भी आज इस महामारी के दौर में भी कोटेदार राशन देने से मना कर रहा है. 


प्रवासी मजदूर सहायता अभियान के तहत पाया जा रहा है कि लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों को एक हज़ार रुपए, राशन किट या 15 जून के बाद एक हज़ार रुपया इक्का-दुक्का ही मजदूरों को प्राप्त हुआ है. गरीब कल्याण रोजगार अभियान के बारे में तो प्रवासी मजदूरों को मालूम ही नहीं है.


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

ग्रासरूट लीडरशिप फेस्टिवल में भेदभाव, छुआछूत, महिला अत्याचार पर 37 जिलों ने उठाये मुद्दे

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

घरेलू कामगार महिलाओं ने सामाजिक सुरक्षा का लाभ मांगा, कहा हमें श्रमिक का दर्जा मिले