पैन-आईआईटी का ग्लोबल ई-कॉन्क्लेव का राज्यों के री-इमेजिन करने पर फोकस

राज्य या देश को लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं रख सकते क्योंकि यह आर्थिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित कर रहा है। लॉकडाउन के दौरान कृषि उद्योग को सक्रिय रखने और किसानों व औद्योगिक श्रमिकों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने पर फोकस किया।



नई दिल्ली : पूरा देश महामारी के प्रभाव से उबरने के लिए प्रयासरत है और इस बीच तीन सप्ताह के पैन-आईआईटी ग्लोबल ई-कॉन्क्लेव का अंतिम चरण महत्वपूर्ण समाधानों और रणनीतियों के साथ संपन्न हुआ। देश इस अभूतपूर्व समय में कई चुनौतियों से जूझ रहा है और उनसे आगे निकलने की कोशिश कर रहा है, ग्लोबल आईआईटी एल्युमनी कम्युनिटी ने वर्तमान संकट का हल करने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था के हितधारकों के साथ यह प्रयास किया। कॉन्क्लेव के तीसरे चरण में राज्यों और उद्योग की रीबिल्डिंग के साथ-साथ एग्रीकल्चर, फूड सिक्योरिटी, एमएसएमई और लाइवलीहूड्स पर ग्लोबल आईआईटी एल्युमनी और भारतीय नीति निर्माताओं, इंडस्ट्री के दिग्गजों और थर्ड सेक्टर लीडर्स के बीच गंभीर विचार-विमर्श हुआ। 


‘री-बिल्डिंग स्टेट्स’ विषय पर पहले सत्र में लोकसभा सांसद जयंत सिन्हा ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से चर्चा की और महामारी से मिले सबक व इससे जूझने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानने की कोशिश की। सत्र के दूसरे भाग में आईआईटी मद्रास के एल्युमनी और हिंदू ग्रुप में पब्लिशिंग वर्टिकल के सीईओ राजीव सी. लोचन ने जयंत सिन्हा के साथ संरचनात्मक परिवर्तनों के लिए व्यवस्थित प्रक्रियाओं पर चर्चा की।


उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “लगभग 24 करोड़ की आबादी वाले यूपी में हमने वायरस के प्रकोप से लड़ते हुए कई चुनौतियों का सामना किया। हालांकि, हम इसे लॉकडाउन के चार चरणों के दौरान रोकने में कामयाब रहे। जब हमने अंतरराज्यीय मूवमेंट्स को खोलने के साथ अनलॉक फेज में प्रवेश किया तो मामले बढ़ने लगे। इसके बाद भी हमने उन्हें नियंत्रित करने में कामयाबी हासिल की। आज राज्य में लगभग 16,000 सक्रिय कोविड-19 मामले हैं।


हम उनका अस्पतालों के तीन स्तरों में इलाज कर रहे हैं। मेरा मानना है कि जब तक हमारे पास कोविड-19 के लिए कोई भी वैक्सीन या उपचार नहीं होता, तब सभी एहतियाती उपायों के तहत सुरक्षित रहना एकमात्र तरीका है। हालांकि, इन तैयारियों के बीच हमने यह भी महसूस किया है कि हम राज्य या देश को लंबे समय तक लॉकडाउन नहीं रख सकते क्योंकि यह आर्थिक स्वास्थ्य को काफी प्रभावित कर रहा है। लॉकडाउन के दौरान हमने कृषि उद्योग को सक्रिय रखने और किसानों व औद्योगिक श्रमिकों की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करने पर फोकस किया। इस अवधि में रिकॉर्ड-तोड़ चीनी और इथेनॉल का उत्पादन हुआ। हमने इस दौरान अपने 2500 कोल्ड स्टोरेज को सफलतापूर्वक चालू रखा।


सबसे अच्छी बात यह थी कि हम टेक्नोलॉजी और डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के जरिये इन सभी पर नज़र रख सकते थे और हमें विश्वास है कि इससे हमें अर्थव्यवस्था चलाने और भविष्य में नई नौकरियां पैदा करने में मदद मिलेगी।”


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