कविता // आओ स्वतंत्रता दिवस मनायें



विजय सिंह बिष्ट 


आओ स्वतंत्रता दिवस मनायें,
उन अमर शहीदों को शीष झुकायें,
मां को मुक्त कर स्वतंत्र कराया,
कटु यातनाएं सह स्वयं फांसी चढ़ाया,
आओ मिलकर शीष झुकायें।
आओ स्वतंत्रता दिवस मनायें।।


कितने संकट झेले, लाठी गोली खाई,
बलिदान किया फिर आजादी पाई,
भोगा नहीं स्वतंत्रता हमें दिलाई,
आओ मिलकर उनका गुणगान करें,
शत् शत् नमन करें,श्रद्धा का दान करें।।
आओ प्रण करें, देश को लूटने न देंगे,
शत्रु चाहे कितने हों, झुकने न देंगे,
बलि बलि जाएं ,प्यारा देश हमारा।
प्राणों से बढ़कर ,प्यारा देश हमारा।


 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

ग्रासरूट लीडरशिप फेस्टिवल में भेदभाव, छुआछूत, महिला अत्याचार पर 37 जिलों ने उठाये मुद्दे

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

घरेलू कामगार महिलाओं ने सामाजिक सुरक्षा का लाभ मांगा, कहा हमें श्रमिक का दर्जा मिले