सुप्रसिद्ध गायिका मनीषा ए अग्रवाल ने "स्प्रिचुअल सिम्फनी” भक्ति संगीत समारोह से श्रोताओं को भक्तिभाव से परिपूर्ण किया

0  योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली  : विश्व संगीत दिवस के अवसर पर अर्पण फाउंडेशन की संस्थापक और ट्रस्टी, मनीषा ए. अग्रवाल ने कमानी सभागार में भक्ति संगीत के सुरों में डूबा एक अनोखा कॉन्सर्ट “स्प्रिचुअल सिम्फनी” प्रस्तुत किया। भारत सरकार के संस्कृति और पर्यटन मंत्री. किशन रेड्डी ने इस भव्य समारोह का उद्घाटन किया। भक्ति संगीत से लबरेज़ इस कॉन्सर्ट को “आज़ादी का अमृत महोत्सव” और संगीत नाटक अकादमी के “ज्योर्तिगमय” के तहत पेश किया गया। “स्प्रिचुअल सिम्फनी” में पद्मभूषण पंडित विश्व मोहन भट्ट, पदमश्री अनूप जलोटा, मनीषा ए. अग्रवाल, पदमश्री अनवर खान और रवि पवार ने संगीतमय सुरों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। इस कॉन्सर्ट को 108 कलाकार, पंडित-पुरोहित और क्रू ने ऐसा पिरोया, के पूरे माहौल को भक्ति भावना से परिपूर्ण कर दिया।
इस अवसर पर मनीषा ए. अग्रवाल ने कहा, “संगीत में लोगों को जोड़ने की अदभुद शक्ति है। मैं संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय की आभारी हूं, जिन्होंने संगीत के माध्यम से भारत की एकता का जश्न मनाने का हमें मौका दिया।“ मनीषा ने बताया, “हमने इस कॉन्सर्ट को ख़ास “आज़ादी का अमृत महोत्सव” के लिए रचा है। इस संगीतमय कार्यक्रम में ऐसे श्लोक, मंत्र, भजन और भक्ति गीतों को पिरोया गया है जो प्रेम, सद्भावना, आंतरिक जागृति और आज़ादी की झलक हैं। इस कॉन्सर्ट में भारत के आध्यात्मिक संगीत के विकास को हमने 5 चरणों में गीतों और भजनो के द्वारा साझा किया है - ओंकार से ओम तक का सफर और सामवेद के श्लोक जिनसे सामवेद से शास्त्रीय संगीत तक के सफर का ज्ञात होता है | फिर भक्ति परंपरा के भजन प्रस्तुत करते हुए कॉन्सर्ट सूफी संगीत का रुख करता है जिसमें सूफी फकीरों के गीत प्रस्तुत किये गए हैं | कॉन्सर्ट के अंतिम पड़ाव में सभी धर्मों की प्रार्थनाओं की बेहद खूबसूरत प्रस्तुति है जिसका समापन देशभक्ति में लीन सुरों और गीत के साथ हुआ।
पंडित विश्व मोहन भट्ट ने कहा, "मैं बेहद खुश हूँ की मैं राष्ट्रीय एकता और विश्व शांति को बढ़ावा देने वाले इस कॉन्सर्ट का हिस्सा हूं। यह अपने आप में एक अनोखा आयोजन है, इस कॉन्सर्ट में सबसे प्राचीन ध्वनि ओम से सामवेद में मूल संगीत की उत्पत्ति के सफर को जिस तरह दर्शाया गया है, वो सराहनीय है । कॉन्सर्ट में संगीत की प्राचीन ध्वनियों का भी वर्णन है जो की हमें प्रकृति में मिलती हैं - इन ध्वनियों से भारतीय संगीत में शास्त्रीय संगीत और लोक संगीत तक की क्रमागत उन्नति को इस कॉन्सर्ट की ज़रिये पेश किया गया है।“
पद्मश्री अनूप जलोटा ने कहा, “इस समारोह में, पूरा माहौल भारतीय संगीत की विविधता के सुरों से गूँज उठा। शास्त्रीय संगीततकारों, लोक कलाकारों और भक्ति परंपरा एवं सामवेद के पुरोहितों ने जिस तरह एक सुर और स्वर में संपूर्ण भक्तिभाव से परमात्मा की स्तुति की, उसे देखकर हर दिल गद गद हो उठा। समारोह में उपस्थित श्रोताओं और दर्शकों को भक्तिभाव से उत्पन्न होने वाली धुनों से दैवीय अनुभव मिला। इस कॉन्सर्ट ने निश्चित रूप से प्रार्थना की शक्ति का एक भव्य अनुभव कराया।“
भक्ति भाव से परिपूर्ण इस आध्यात्मिक कार्यक्रम के संगीतकार और संचालक रवि पवार ने कहा, “यह एक अनोखा कॉन्सर्ट है जिसको हमने भारतीय संगीत की उत्पत्ति और विकास के गहन अनुसंधान से कम्पोज़ किया है। इस प्रस्तुति में वॉयलिन, चेलो, गिटार, सितार, बांसुरी, ड्रम, संतूर, अलगोज़ा, रावणहत्था, खड़ताल, इलेक्ट्रिक वॉयलिन, ऑक्टोपैड और तबला जैसे विभिन्न वाद्य यंत्रों का वादन किया गया। 'स्प्रिचुअल सिम्फनी' में भक्ति संगीत के कुछ अनूठे गीतों और भजनों की पेशकश है, जिस में सामवेद के श्लोक, गायत्री मंत्र, केसरिया बालम, तान, आज ब्रिज में होली, मन कुंतो, सर्वे भवंतु, बुद्धम शरणम्, इक ओंकार के साथ हमारा देशभक्ति गीत भी सम्लित है |

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