नए संसद भवन पर लगे राष्ट्रीय चिन्ह से छेड़ छाड़ का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा

० विनोद तकिया वाला ० 

सेन्ट्रल बिस्टा परियोजना शुरू से चर्चा में रही है।इस परियोजना को लेकर सता के गलियारों से आम जनता की जुबान व जिज्ञासा का केन्द्र रहा है।इस परियोजना की महत्व इस बात से लगाया जा सकता है कि यह प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी जी की पसंदीदा परियोजनाओं में से एक है। जिसकी झलक स्वंय मोदी परियोजना परिसर का कभी औचक निरीक्षण कर परियोजना से जुड़े अधिकारीयों व कर्मचारी से विचार विर्मश करते रहना है। विगत दिनों सेन्ट्रल विस्टा परियोजना के अर्न्तगत निर्माणाधीन नए संसद भवन परिसर में
विधिवत पूजा अर्चना कर राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तम्भ का अनावरण किया था।हालाकि इस अवसर पर विपक्षी दलों के नेताओं को आमंत्रित तक नही गया था।जिसकी कॉंग्रेश समेत विपक्षी नेता ओ ना केवल आलोचना की बल्कि मोदी सरकार को नसीहत देते हुए कहा कि संसद किसी सरकार की नही होती है।इस भाजपा द्वारा सफाई देते कहा कि सरकार नए संसद भवन का र्निमाण कर सौंपेगी।

यह मामला अभी शांत भी नही हुआ था कि एक बार फिर से सेंट्रल विस्टा में लगे राष्ट्रीय चिन्ह का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा।याचिका कर्ता द्वारा सेंट्रल विस्टा में लगे राष्ट्रीय चिन्ह में लगें शेरों की उग्र मुद्रा पर उठाए गये । आप को बता दे कि इस विवाद को लेकर सरकार की तीखी आलोचना हुई थी।अब पुनः इसी मामले को लेकर सर्वोच्य न्यायलय में एक याचिका दायर की गई।याचिका कर्ता द्वारा राष्ट्रीय चिन्ह में लगे शेरों की उग्र मुद्रा पर सवाल उठाए गए हैं। यह मामला दो वकीलों ने याचिका दायर कर कहा है कि ये सारनाथ में रखे गए मूल प्रतीक से अलग है।सुप्रीम कोर्ट सरकार को इसमें सुधार करने का आदेश दे।

वकील अल दानिश रेन और रमेश कुमार मिश्रा की याचिका में कहा गया है कि सेंट्रल विस्टा में बन रहे नए संसद भवन की छत पर लगाया गया प्रतीक भारतीय राष्ट्रीय चिन्ह से अलग है।इस वजह से इसे लगाना भारतीय राजचिन्ह के गलत इस्तेमाल को रोकने वाले कानून-स्टेट एमब्लम ऑफ इंडिया(प्रोहिबिशन अगेंस्ट इम्प्रॉपर यूज़)एक्ट,2005 का उल्लंघन है।याचिका मे दोनों वकीलों ने कहा है कि संसद भवन की छत पर लगाए गए प्रतीक में शेर उग्र नजर आ रहे हैं।उनके मुंह खुले हैं।जिसमें नुकीले दांत दिख रहे हैं।इसमें देवनागरी लिपि में 'सत्यमेव जयते'भी नहीं लिखा, जो कि राष्ट्रीय प्रतीक का अनिवार्य हिस्सा है।राष्ट्रीय चिन्ह में इस तरह का बदलाव गलत है । याचिका कर्ता ने अपील की है कि सुप्रीम कोर्ट सरकार को इसे सुधारने का आदेश दे।

 निर्माणाधीन संसद के नए भवन की छत पर लगा ये प्रतीक कांस्य से बना हैI जिसका कुल वजन 9,500 किलोग्राम है और इसकी ऊंचाई 6.5 मीटर है।इसे नए संसद भवन के केंद्रीय फोयर के शीर्ष पर कास्ट किया गया है।प्रतीक के समर्थन के लिए लगभग 6,500 किलोग्राम वजन वाले स्टील की एक सहायक संरचना का निर्माण किया गया है।विपक्षी पार्टियों ने शेरों की बनावट के लिए सरकार को घेरा । विगत दिनों इसके उद्घाटन के बाद विपक्षी पार्टियों ने शेरों की बनावट और आक्रामक मुद्रा को लेकर सरकार पर निशाना साधा था।इसके जवाब में सरकार ने कहा था कि काफी शोध करने के बाद ही इस राष्ट्रीय चिन्ह अशोक स्तंभ को नए संसद भवन में स्थापित किया गया हैIइस संदर्भ में अन्तिम फैसला माननीय सर्वोच्य न्यायालय को करना है।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

"मुंशी प्रेमचंद के कथा -साहित्य का नारी -विमर्श"

गांधी जी का भारतीय साहित्य पर प्रभाव "

बेफी व अरेबिया संगठन ने की ग्रामीण बैंक एवं कर्मियों की सुरक्षा की मांग

वाणी का डिक्टेटर – कबीर

राजस्थान चैम्बर युवा महिलाओं की प्रतिभाओं को पुरस्कार