डिजिटल स्किल को प्रोत्साहन देने के लिए भारत में पर्याप्त संभावनाएं


० योगेश भट्ट ० 

नई दिल्ली, उद्योगों के ऑटोमेशन और टेक बिजनेस के तेजी से बढ़ने के साथ, भारत में छात्रों और देश में वर्कफोर्स के डिजिटल कौशल (स्किल) को प्रोत्साहन देने की पर्याप्त संभावनाएं है। एम्प्लॉयबिलिटी.लाइफ ने नई दिल्ली में इंडस्ट्री 4.0 इंडिया सम्मिट की मेजबानी की, जिसमें इंडस्ट्री प्रमुख, अकादमिक प्रमुख और नीति निर्माता एक साथ एक जनमंच पर इस बात पर चर्चा करने के लिए आए कि भारतीय उच्च शिक्षा नई पीढ़ी के छात्रों को रोजगार के नए उभरते अवसरों के लिए कैसे तैयार कर सकती है। इसके अलावा, आई4आईसी के हिस्से के रूप में, एम्प्लॉयबिलिटी.लाइफ ने ग्लोबल एम्प्लॉयबिलिटी हैंडबुक 2022 भी लॉन्च की, जो भारत, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम के नीति निर्माताओं, इंडस्ट्री प्रोफेशनल्स और एजुकेशन इनोवेटर्स से प्राप्त आंतरिक अनुभवों पर आधारित जानकारी और और सिफारिशों का एक कलेक्शन है।

इंडस्ट्री 4.0 इंडिया कॉन्फ्रेंस (आई4आईसी) में अपने मुख्य संबोधन में, डॉ. मनीष मल्होत्रा, चेयरमैन एवं एमडी, डिजिटल कॉमनवेल्थ और एटीएमसी एजुकेशन ग्रुप के संस्थापक ने कहा कि 2025 तक 1 ट्रिलियन डॉलर की डिजिटल इकोनॉमी से अधिक से अधिक लाभ उठाने के लिए 27 मिलियन से अधिक भारतीयों को डिजिटल रूप से पूरी तरह से स्किल्ड होना होगा। इस संबंध में पहली आई4आईसी इंडस्ट्री 4.0 के प्रभावों के लिए भारत और दुनिया को तैयार करने में एक महत्वपूर्ण आयोजन है और इसका आयोजन डिजिटल कॉमनवेल्थ की एक पहल, एम्प्लॉयबिलिटी.लाइफ द्वारा किया गया है।

डॉ. मल्होत्रा ने कहा कि यह देखते हुए कि केवल 12 प्रतिशत भारतीय वर्कफोर्स डिजिटल रूप से स्किल्ड है, ऐसे में वर्तमान नौकरियों में से 69 प्रतिशत को ऑटोमेशन द्वारा बदल दिए जाने का खतरा है। डॉ. मल्होत्रा ने कहा कि “भारत के डिजिटल स्किल अंतर में औसतन 2.3 प्रतिशत प्रति वर्ष की जीडीपी वृद्धि का जोखिम सबसे बड़ा है और ऐसे में भारत की डिजिटल रूप से स्किल्ड वर्कफोर्स को 2025 तक नौ गुना वृद्धि की आवश्यकता है।” डॉ. मल्होत्रा ने नई टेक्नोलॉजीज और टेक्नोलॉजी समर्थित रोजगार के अवसरों के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

भारत के डिजिटल स्किल अंतर पर एक पैनल चर्चा के दौरान, डॉ संदीप सिंह कौरा, सलाहक, स्किल डेवलपमेंट एंड टेक्नीकल एजुकेशन, पंजाब सरकार ने कहा कि इंडस्ट्री और शिक्षा के बीच सुव्यवस्थित समन्वय की आवश्यकता पर बल दिया। यह देखते हुए कि उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधि एक-दूसरे से मिलते रहते हैं, दोनों पक्षों को एक साथ आने और एक साथ काम करने की आवश्यकता है क्योंकि वर्तमान में वे बड़े पैमाने पर एक दूसरे के समानांतर चलते हैं। पंजाब में इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के अपने अनुभव के बारे में बात करते हुए, डॉ कौरा ने कहा कि राज्य सरकार ने सभी अलग-अलग पहलों को एक विभाग के तहत लाया और उद्योग के साथ पहल और साझेदारी के सही तालमेल में काम करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

इंडियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ ऑस्ट्रेलिया (आईएएसए) के संरक्षक सीनेटर माननीय एरिक एबेट्ज ने चर्चा के दौरान ऑस्ट्रेलिया में भारतीय छात्रों का स्वागत किया और कहा कि दोनों देशों के बीच बढ़ती साझेदारी भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान को बढ़ाएंगी। भारत के रणनीतिक महत्व पर प्रकाश डालते हुए, सीनेटर ने कहा, “ऑस्ट्रेलिया में भारतीय प्रवासी देश में प्रवासियों का तीसरा सबसे बड़ा समूह है। भारत ऑस्ट्रेलिया के लिए और महत्वपूर्ण होता जा रहा है। हम अधिक से अधिक छात्रों को ऑस्ट्रेलिया आने, शिक्षित होने और भारत लौटने और अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”

भारत में कौशल से संबंधित फैकेल्टी पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता के बारे में बात करते हुए, फिक्की के पूर्व महासचिव, श्री दिलीप चेनॉय ने कहा कि देश में ऐसे उदाहरण हैं जहां फैकेल्टी को डिजिटल स्किल में प्रशिक्षित नहीं किया गया है और उन्हें प्रशिक्षित करने की तत्काल आवश्यकता है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राज्यों को केंद्र की छत्र योजनाओं के तहत पहल करने का प्रयास करना चाहिए, जिससे प्रयासों का बेहतर तालमेल बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि “सहयोग प्रतिस्पर्धा का अगला रूप है।“ श्री चेनॉय ने आगे कहा कि प्रासंगिक स्किल-आधारित पाठ्यक्रम बनाने के लिए संस्थानों को उद्योग और शिक्षाविदों के साथ मिलकर काम करना चाहिए।

उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की वेबसाइट से कौशल विकास पाठ्यक्रम के लिए उपयोगी निर्देश ले सकते हैं। चर्चा में सुश्री कीर्ति सेठी, सीईओ, सेक्टर स्किल काउंसिल, नैसकॉम ने भी भाग लिया, जिनका विचार था कि योजनाओं और पहलों का क्रियान्वयन देश में डिजिटल कौशल के विकास का आधार है। आई4आईसी ने इंडस्ट्री 4.0 के परिवर्तन को एक चुनौती और एक अवसर दोनों के रूप में तैयार किया है। नई प्रतिभा परिदृश्य की मांग बहुत बड़ी है, लेकिन क्रिएटिव समाधान और शिक्षा प्रसार में नए व्यापार मॉडल के इनोवेशन की बहुत गुंजाइश है। सम्मिट में प्रमुख वक्ताओं में एआईसीटीई, एनएसडीसी, और नैसकॉम जैसे संस्थानों के वरिष्ठ प्रतिनिधि; शीर्ष भारतीय विश्वविद्यालयों के वरिष्ठ अकादमिक प्रमुख; विभिन्न चैम्बर ऑफ कॉमर्स और सीनियर कॉर्पाेरेट अधिकारी शामिल हुए

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