राइजिंग विथ काइंडनेस' युवा शिखर सम्मेलन और कॉन्सर्ट में दुनिया भर से 10000 से अधिक युवा प्रतिभागी शामिल होंगे

० योगेश भट्ट ० 

“युवा दयालुता के अग्रदूत हैं, "हार्टफुलनेस द्वारा तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय-युवा शिखर सम्मेलन ‘राइजिंग विथ काइंडनेस’ की मेजबानी करते हुए दाजी ने कहा ● 'राइजिंग विथ काइंडनेस' युवा शिखर सम्मेलन और कॉन्सर्ट में दुनिया भर से 10000 से अधिक युवा प्रतिभागी शामिल होंगे ● यह आयोजन हार्टफुलनेस, यूनेस्को-एमजीआईईपी (UNESCO-MGIEP) और एआईसीटीई (AICTE) के बीच एक संयुक्त पहल है
● कई प्रख्यात हस्तियाँ और विचारशील नेता, इस युवा सम्मेलन में अपने विचार व्यक्त करने के लिए आगे आ रहे हैं
नयी दिल्ली : एआईसीटीई और यूनेस्को-एमजीआईईपी के साथ मिलकर हार्टफुलनेस 12-14 अगस्त 2022 के बीच हैदराबाद के नजदीक स्थित हार्टफुलनेस मुख्यालय, कान्हा शांति वनम में अंतर्राष्ट्रीय युवा शिखर सम्मेलन 'राइजिंग विद काइंडनेस' आयोजित कर रहा है। कान्हा शांति वनम में यह तीन दिवसीय शिखर सम्मलेन 10,000 से अधिक लोगों को उपस्थित होने और अन्य कई गुना लोगों के वर्चुअल रूप से शामिल होने के लिए पहले से ही आकर्षित कर रहा है क्योंकि इस सम्मेलन एवं संगीत समारोह में दयालुता पर विशिष्ट विचार रखने वाले प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय नेता, सुप्रसिद्ध चित्रकार एवं कलाकार, युवाओं पर प्रभाव डालने वाली एवं अन्य प्रेरणादायक हस्तियाँ शामिल हो रही हैं।

 यह कार्यक्रम हाइब्रिड मोड में आयोजित किया जा रहा है, जिसका लक्ष्य 18 से 35 वर्ष की आयु के युवा प्रतिनिधियों को 'काइंडनेस स्टेटमेंट' विकसित करने, अपनी दयालुता परियोजनाओं को प्रदर्शित करने और अपनी दयालुता की कहानियों को साझा करने में मदद करना है। सभी प्रतिनिधियों को हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट द्वारा भागीदारी प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जबकि कुछ चुनिंदा 'काइंडनेस चैंपियंस' को नवंबर 2022 में 'वर्ल्ड यूथ काइंडनेस कॉन्फ्रेंस' में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। कुछ लोगों को अपनी कहानियों का यूनेस्को MGIEP द्वारा वैश्विक प्रसार किए जाने का मौका भी मिल सकता है। इस शिखर सम्मेलन का एक अन्य आकर्षण डबल ग्रैमी पुरस्कार विजेता, रिकी केज और उनके बैंड द्वारा पर्यावरण के प्रति दयालुता का संदेश फैलाने के लिए 'काइंडनेस कॉन्सर्ट' है। इस शिखर सम्मेलन के हिस्से के रूप में यह संगीत कार्यक्रम शनिवार, 13 अगस्त को शाम 6 बजे आयोजित किया जाएगा।

'राइजिंग विद काइंडनेस' सम्मेलन का उद्देश्य स्वयं, समाज और पर्यावरण के लिए दयालुता की आदतें डालना है। इसे योग, ध्यान और अंतरधार्मिक संवादों के माध्यम से भारतीय संस्कृति और विरासत के प्रति जागरूकता बढ़ाने और अन्य युवा नेताओं के साथ सतत विकास नेटवर्क एवं हार्टफुलनेस और यूनेस्को एमजीआईईपी के साथ अवसर बढ़ाने के लिए तैयार किया गया है। इस आयोजन में तीन फोकस-वर्टिकल हैं: 1) स्वयं: व्यक्तिगत कल्याण के लिए प्रेरणा लेना, 2) समाज: अन्य समान विचारधारा वाले युवाओं के साथ नेटवर्क का अवसर; सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व, संवाद और सामाजिक उद्यमिता को सक्षम करना, 3) प्रकृति: वर्तुलाकार अर्थव्यवस्था, शून्य अपशिष्ट, पर्यावरण-मित्र ईंट और जलवायु सक्रियता के माध्यम से प्रकृति के प्रति दया को बढ़ावा देने में मदद करना।

सम्मेलन के बारे में बोलते हुए, हार्टफुलनेस के मार्गदर्शक  कमलेश पटेल 'दाजी' ने कहा, "दया का मतलब हमेशा कमजोरों के साथ सहानुभूति रखना नहीं होता है। दयालुता की कई परतें होती हैं। व्यक्ति को स्वयं के प्रति भी उतना ही दयालु होना चाहिए जितना दूसरों के प्रति। दुनिया के शास्त्रों ने हमें हमेशा दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करना सिखाया है जैसा हम खुद अपने लिए चाहते हैं। लोगों के इसमें असफल होने का कारण यह है कि वे यह पहचानने में विफल रहते हैं कि स्वाभाविक रूप से हम सभी एक हैं - हम सभी के भीतर एक ही दिव्यता है। यह वही ईश्वरीय शक्ति है जो हम सभी को जोड़ती है। कान्हा में भंडारे या सामूहिक ध्यान के दिनों में, जब साधक यहाँ बड़ी संख्या में ध्यान के लिए एकत्रित होते हैं, तो सामूहिक चेतना काम करती है। 

लोग अपने पूर्वाग्रहों और उन्हें विभाजित करने वाली किसी भी चीज़ पर काबू पा लेते हैं। ध्यान की अवस्था में दयालुता स्वाभाविक रूप से आती है। स्रोत के करीब होने से हमें खुद को पहचानने में मदद मिलती है जिसमें प्रकृति और हर चेतन वस्तु सहित हमारे आसपास की दुनिया भी प्रतिबिंबित होती है। दया में अहंकार, क्रोध, निराशा और अन्य नकारात्मकताओं को वश में करने की शक्ति होती है। दयालु कृत्यों की एक श्रृंखला पूरे समाज को सकारात्मक तरीकों से बदल सकती है। आज के युवा इस संदेश के अग्रदूत हो सकते हैं। इस तरह की विशाल भागीदारी अभिभूत करती है और यह दर्शाती है कि युवा जाग रहे हैं और अच्छे जीवन के लिए दयालुता को अपना आदर्श बना रहे हैं। मैं प्रार्थना करता हूँ कि ये युवा लोग दुनिया में जाकर दयालुता बिखेरें और इसे दुनिया को रहने के लिए एक बेहतर जगह बनाएँ।

यूनेस्को एमजीआईईपी के निदेशक डॉ. अनंत दुरईअप्पा ने कहा, "आज के जीवंत युवा दुनिया भर में दयालुता के सबसे तेज पथ प्रदर्शक हो सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय 'राइजिंग विद काइंडनेस' युवा सम्मेलन दुनिया के विभिन्न कोनों से युवाओं को एक स्थान पर एक साथ ला रहा है। इसके अलावा यह सम्मेलन भारतीय संस्कृति और विरासत को करीब से देखने, योग और ध्यान को अपनाने और युवाओं को एक-दूसरे की दयालुता की कहानियों को अपने साथ ले जाने में मदद कर रहा है। यह अजीब बात है कि जब बच्चों को स्कूल में अच्छे गुणों की शिक्षा दी जाती है तो यह स्कूल के वर्षों तक ही सीमित रहती है, लेकिन जो सीखा जाता है वह भौतिकवादी दुनिया के बाहरी प्रभावों से कम होने लगता है। हमें पूर्वजों द्वारा जो विरासत दी गई है, जो हमारे प्रत्येक इतिहास और संस्कृति को अद्वितीय बनाती है, उसकी रक्षा करनी चाहिए और इसके साथ हमें एक दूसरे की संस्कृति और विरासत का सम्मान करना भी सीखना चाहिए। दुनिया को एक वैश्विक गाँव बनना चाहिए जहाँ लोग एक-दूसरे पर भरोसा कर सकें। हम में से प्रत्येक के भीतर दया की भावना है। हमें केवल इसे फिर से जगाने की जरूरत है।"

अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) के अध्यक्ष डॉ. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा, “शिक्षा दया और सहानुभूति के बिना कभी पूरी नहीं होती। स्वयं अपने साथ, अपने पड़ोसियों और प्रकृति माता के साथ अच्छा व्यवहार करना शांति की ओर पहला कदम है। दया और शांति का संदेश फैलाने के लिए युवा यहाँ एक साथ आकर रोमांचित हैं। वर्तमान समय में जब हर जगह अराजकता है, यह देखना अच्छा है कि हमारे युवा अपने आसपास की दुनिया के प्रति अपने दृष्टिकोण में अधिक जिम्मेदार और समझदार हो रहे हैं। हमें उनकी भावना को पोषित करने की जरूरत है और आशा है कि अधिक से अधिक लोग संदेश फैलाने में उनके साथ जुड़ें। तीन दिवसीय कार्यक्रम में कार्यक्रम के अनुभवात्मक-सेरेब्रल-हार्दिक तरीके शामिल होंगे जो सीक कार्यशाला, वृक्षारोपण, योग + ध्यान, हार्दिक संचार, ग्रीन एंड ब्लू इनोवेशन ब्रेकआउट्स, यूथ प्रोजेक्ट शोकेस, मुख्य वार्ता, संगीत इंटरल्यूड्स और काइंडनेस कॉन्सर्ट के रूप में होंगे। इस कार्यक्रम में कुछ प्रतिष्ठित वक्ता हैं: 

पूज्य दाजी - हार्टफुलनेस के वैश्विक मार्गदर्शक * डॉ अनंत दुरईप्पा - निदेशक, यूनेस्को एमजीआईईपी * डॉ अनिल सहस्रबुद्धे- अध्यक्ष, एआईसीटीई * श्री अनुराग ठाकुर - माननीय केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्री * श्रीमती मीनाक्षी लेखी - केंद्रीय विदेश और संस्कृति राज्य मंत्री * पी वी सिंधु - विश्व चैंपियन और बैडमिंटन खिलाड़ी * श्री पुलेला गोपीचंद - मुख्य राष्ट्रीय कोच, भारतीय बैडमिंटन टीम * खतीजा रहमान- भारतीय गायिका और ए आर रहमान फाउंडेशन की निदेशक और ट्रस्टी। * किरण बीर सेठी - संस्थापक, डिजाइन फॉर चेंज फाउंडेशन * रिकी केज - दो बार के ग्रैमी विजेता और संगीतकार * श्रीमती वंदना शिवा - पर्यावरण कार्यकर्ता * श्री राजेंद्र सिंह - वाटरमैन ऑफ इंडिया * श्री पुनीत लालभाई - कार्यकारी निदेशक, अरविंद लिमिटेड * श्रीमती वाणी कोला - वेंचर कैपिटलिस्ट * तान्या मानिकतला - भारतीय अभिनेता * जोशना चिनप्पा - इंडिया प्रोफेशनल स्क्वैश चैंपियन * डॉ तेजस्विनी मनोगना - मिस अर्थ 2019 * ऋषभ शाह - अध्यक्ष और संस्थापक, आईआईएमयूएन * श्री जे डी लक्ष्मीनारायण - आईपीएस, पूर्व सीबीआई निदेशक और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक * 

श्रीमती राधिका घई - संस्थापक, Kindlife.in * श्री शोभित माथुर - संस्थापक और डीन, राष्ट्रम स्कूल ऑफ़ पब्लिक लीडरशिप * अलीना आलम - संस्थापक और सीईओ, मिट्टी कैफे * श्रीमती निर्मला मेहेंदले - संस्थापक ट्रस्टी, वर्ल्ड काइंडनेस मूवमेंट इंडिया * श्री एम श्रीनिवास राव - सीईओ, टी-हब तेलंगाना * श्री वेंकटेश मूर्ति - संस्थापक और संरक्षक, यूथ फॉर सेवा * श्री सदाम हंजाबम - संस्थापक और सीईओ, Ya_All * कुआनी कीर कुआनी – वरिष्ठ परियोजना अधिकारी, यूनेस्को, अमारा मार्टिनस – वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी, UNESCO MGIEP * अरुद्रदेव राव - निदेशक, ओरिएंट ब्लैकस्वान * मल्लिका रेड्डी - संस्थापक

हार्टफुलनेस के बारे में- हार्टफुलनेस, ध्यान और जीवनशैली को बेहतर बनाने के सरल अभ्यासों का समूह है जिनको सबसे पहले बीसवीं सदी के आरम्भ में विकसित किया गया और श्रीरामचंद्र मिशन के द्वारा 1945 में आधिकारिक रूप से सिखाना शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य हर एक हृदय में शांति, ख़ुशी और बुद्धिमत्ता का विकास करना है| ये अभ्यास योग के आधुनिक स्वरूप हैं जो संतुष्टि, आंतरिक शांति एवं स्थिरता, करुणा, साहस तथा विचारों में स्पष्टता लाने के लिए बनाए गए हैं जिनकी मदद से एक उद्देश्यपूर्ण जीवन की तरफ कदम बढ़ाए जा सकते हैं| ये सरल और आसानी से अपनाये जाने लायक हैं और जीवन के हर क्षेत्र, संस्कृति, धार्मिक विश्वास और आर्थिक स्थिति के सभी लोगों के लिए उपयुक्त हैं, जिनकी उम्र 15 वर्ष से अधिक हो| हजारों स्कूलों और कॉलेजों में हार्टफुलनेस के अभ्यास सिखाए जा रहे हैं और विभिन्न कार्यालयों, गैर सरकारी संस्थाओं एवं सरकारी कार्यालयों के 100,000 से अधिक कर्मचारी ध्यान कर रहे हैं तथा इस अभियान में 160 से अधिक देशों के 5000 से अधिक ध्यान केन्द्रों में हजारों सर्टिफाइड स्वयंसेवी प्रशिक्षक, लाखों अभ्यासियों को सहयोग कर रहे हैं|

यूनेस्को एमजीआईईपी के बारे में: यूनेस्को महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन एंड पीस एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट (एमजीआईईपी), सामाजिक और भावनात्मक शिक्षण को बढ़ावा देने वाले ऐसे कार्यक्रमों और उत्पादों को विकसित करके दुनिया भर में शांतिपूर्ण और टिकाऊ समाज बनाने के लिए शिक्षा की दिशा में संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्य 4.7 प्राप्त करने पर केंद्रित है, जो डिजिटल शिक्षाशास्त्र को नया रूप दें और युवाओं को सशक्त बनाएँ। यूनेस्को एमजीआईईपी की सामाजिक भावनात्मक शिक्षा (एसईएल) कार्यक्रम सीखने के विज्ञान पर आधारित है और इसका उद्देश्य नवीन शिक्षाशास्त्र के माध्यम से शिक्षार्थियों के बीच बौद्धिक और भावनात्मक बुद्धिमत्ता का निर्माण करना है। अधिक जानकारी के लिए देखें https://mgiep.unesco.org/

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