फिक्की अराइज के प्रयास से प्रगाढ़ होता 30 वर्ष पुराना भारत-इज़रायल संबंध

 योगेश भट्ट ० 

नयी दिल्ली
  : 
आज बड़ी चुनौती परिणाम-आधारित शिक्षा और नैतिकता के साथ डेटा दर्ज करते हुए हितधारकों की जवाबदेही तय हो यह सुनिश्चित करना है। यह संभव है यदि हम प्रौद्योगिकी का बुद्धिमानी से उपयोग करें। हमें यह भी सीखना है कि इज़रायल स्कूली शिक्षा के तहत उद्यमिता शिक्षा को मुख्यधारा में लाने में किस तरह सफल रहा है ताकि हमारे छात्रों को इस मामले में शुरुआती सलाह और कौशल विकास का लाभ मिले। इससे हमारे प्रधान मंत्री के स्टार्ट-अप इंडिया मिशन भी मजबूत होगा। इज़रायल दौरे से वहां के-12 सेगमेंट में उत्कृष्ट गुणवत्ता युक्त शिक्षा के कई मॉडलों की नीतिगत संरचना के बारे में जानकारी मिली।’’
 फिक्की अराइज (‘एलायंस फॉर री-इमेजिनिंग स्कूल एजुकेशन’) ने पूरे भारत से चुने गए 24 सदस्यों के उच्च स्तरीय शिष्ट मंडल के लिए 21-26 अगस्त तक इजरायल दौरे का आयोजन किया इसमें विदेश व्यापार प्रशासन-अर्थव्यवस्था और उद्योग मंत्रालय: इज़रायल और इज़रायल दूतावास, नई दिल्ली ने पूरा सहयोग दिया। दौरे का उद्देश्य के-12 शिक्षा क्षेत्र में शिक्षा के इज़रायली मॉडल को समझना और अनुभव करना और साथ ही, छात्रों को 21 वीं सदी के लिए तैयार करने हेतु प्रगतिशील और लचीली नीतियों, सफल शैक्षणिक साधनों और मॉडलों, डेटा एनालिटिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, डिजाइन थिंकिंग आदि अत्याधुनिक तकनीकों का लाभ लेकर स्कूली शिक्षा में अभूतपूर्व बदलाव लाना है।
इस 5 दिवसीय यात्रा की योजना में विभिन्न संस्थानों के दौरे शामिल हैं जैसे कि शिक्षा मंत्रालय, इज़रायल; इज़राइल निर्यात और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग संस्थान; तासीयदा; पेरेस सेंटर फॉर पीस एंड इनोवेशन; स्टार्ट-अप नेशन सेंट्रल; माइंडसेट; शिमोन पेरेस हाई स्कूल। दुनिया के दो जीवंत लोकतंत्रों के बीच शैक्षिक संबंध प्रगाढ़ करने के लक्ष्य से इजरायल में भारतीय राजदूत श्री संजीव सिंगला से संवाद और आकर्षक सत्र का भी आयोजन किया गया था।सेठ आनंदराम जयपुरिया ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष और फिक्की अराइज के अध्यक्ष शिशिर जयपुरिया ने कहा, ‘‘भारत के सबसे दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों में भी स्कूली शिक्षा की पहुंच सुनिश्चित करने का हम ने उत्कृष्ट काम किया है। 

प्रवीण राजू, सह-अध्यक्ष, फिक्की अराइज और संस्थापक, सुचित्रा अकादमी ने कहा, ‘‘आज के विद्यार्थी 20वीं शताब्दी के लोगों से बहुत अलग हैं। वे एक साथ कई कार्य करते हैं। कुछ नया और बड़ा बदलाव करना चाहते हैं। इसलिए शिक्षकों को भावी शिक्षार्थियों की आवश्यकताओं के अनुरूप सीखने के तरीके अपनाने हांेगे। इस यात्रा से ना केवल नवाचार के मद्देनजर सीखने का सबसे अच्छा माहौल बनेगा बल्कि सहयोग के ऐसे क्षेत्रों की पहचान होगी जो परस्पर लाभदायक होंगे।’’ फिक्की इस प्रयास के माध्यम से के-12 शिक्षा जगत में सार्थक संवाद, सहयोग और सहभागिता के लिए भारत और इज़रायल के बीच रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने का अवसर देने का लक्ष्य रखता है।

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