ठुमरी गायन व कथक प्रस्तुति से सजी महफिल - भानु कुमार राव व शांभवी श्रिया ने बांधा समां

० अशोक चतुर्वेदी ० 

जयपुर, जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में सुर, लय और ताल का संगम दिखायी दिया। मौका था जेकेके की ओर से आयोजित ठुमरी गायन व कथक नृत्य प्रस्तुति का। भानु कुमार राव व शांभवी श्रिया की उम्दा प्रस्तुति ने लोगों का दिल जीत लिया। जयपुर घराने का प्रतिनिधित्व करने वाले भानु कुमार राव ने श्रृंगार रस से लबरेज ठुमरी पेश कर समां बांधा। राग देश में ‘मोरा सईंया बुलावे आधी रात नदिया धीरे बहो’ गाकर उन्होंने प्रस्तुति की शुरुआत की। राग मिश्र खमाज में पेश ‘सावन की रुत आई रे सजनवा, प्रीतम घर ना ही आए रे’ के जरिए विरह अग्नी में जल रही नायिका की भावनाओं को जाहिर किया गया। राग किरवानी में ‘जगत में झुठी देखी प्रीत’ गाकर भानु ने श्रोताओं को आध्यात्मिक शांति का अनुभव करवाया। तबले पर पं. रामस्वरूप राव, हारमोनियम पर पं. राजेंद्र प्रसाद बनर्जी व तानपुरे पर दिपाली शर्मा ने संगत की।

जयपुर घराने की कथक नृत्यांगना शांभवी श्रिया ने आंगिक भाव, फुट वर्क का बेजोड़ प्रदर्शन कर सुधि दर्शकों को एकटक प्रस्तुति देखने को मजबूर कर दिया। थिरकते कदमों के साथ पंचेश्वर स्तुति कर उन्होंने प्रस्तुति की शुरुआत की। इसके बाद शुद्ध कथक में आमद, ठाट, चक्रदार परन, सिफारिशी परन, गत निकास, कवित्त आदि पेश किए। राग खमाज पर आधारित ठुमरी, ‘काहे छेड़त मोहे मुरारी’, फिर राग कलावती में निबद्ध तराना प्रस्तुत कर शांभवी ने अपने कदमों को विराम दिया। पेशे से साॅफ्टवेयर इंजीनियर शांभवी ने नृत्य गुरु दिलीप पंवार से शिक्षा ली है जो प्रस्तुति के दौरान पढ़न्त करते नजर आए। वहीं तबले पर गुलाम फरीद, हारमोनियम पर हनुमान प्रसाद ने साथ देकर कार्यक्रम को खास बनाया।

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