नौ रूप में विराजे , समझाये हर घड़ी तू

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सुषमा भंडारी ० 
माता ओ शेरां वाली तेरा नाम देता जीवन

हैं तुझसे सारी खुशियाँ तुझसे ही मेरा तन मन

नौ रूप में विराजे , समझाये हर घड़ी तू

नन्ही सी बालिका बन, असुरों से है लड़ी तू

ज्योति से तेरी माता, रौशन हो मेरा आंगन

माता ओ____
कटरा से द्वार तेरा, कहता है हर कहानी

तेरे कदमों के निशां ही,करते धरा को पावन

माता ओ-----------

ललकारा महिसासुर को, नौ दिन चली लड़ाई

दिन आया दशमी का दुश्मन ने मुँह की खाई

मिटती सदा बुराई, हो महिषासुर या रावण

माता ओ शेरों वाली, तेरा नाम देता जीवन

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