25वें लोकरंग की सुनहरी छटा से चमक उठी गुलाबी नगरी-11 दिवसीय महोत्सव का समापन

० अशोक चतुर्वेदी ० 
जयपुर-25वें लोकरंग महोत्सव की भव्यता ने प्रदेशवासियों को भाव विभोर कर दिया। एक ही मंच पर विभिन्न राज्यों के लोक कलाकारों ने ऐसी छटा बिखेरी की हर कोई देखता रह गया। सिम्फनी में अलग-अलग 25 वाद्य यंत्रों की धुन जब एक साथ मध्यवर्ती में गूंजी तो श्रोता मंत्र-मुग्ध हो गए। इसी धुन के साथ कदम ताल मिलाते हुए युवतियों ने हाथ में दीप लेकर दीपमाला बनायी तो लोक कला के रजत महोत्सव की चमक ने दर्शकों के दिलों पर छाप छोड़ दी।

कार्यक्रम में डाॅ. बी. डी कल्ला मंत्री, कला एवं संस्कृति विभाग, राजस्थान, गायत्री राठौड, प्रमुख शासन सचिव, कला एवं संस्कृति विभाग ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की। इस मौके पर डाॅ. बी. डी कल्ला ने कहा कि उम्दा प्रस्तुति देने के लिए मैं सभी कलाकारों को धन्यवाद देता हूॅं, लोकरंग के मंच पर अनेकता में एकता का उदाहरण देखने को मिला है। हम पर्यटन को अपनी कला व संस्कृति के जरिए और बढ़ावा देंगे। मैं सभी कलाकारों व प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देता हूॅं। इस दौरान हरि प्रसाद शर्मा, चेयरमैन, राजस्थानी कर्मचारी चयन बोर्ड, पंकज ओझा, संयुक्त शासन सचिव, कला एवं संस्कृति विभाग,  दिनेश एम. एन, एडीजी एसीबी, प्रियंका जोधावत, अति. महासचिव जेकेके, संगीता आर्य, सदस्य, आरपीएससी व अन्य गणमान्य लोग मौजूद रहे।

भारत मिलन कार्यक्रम बेहद खास रहा। चारों दिशाओं से अलग-अलग प्रदेशों के कलाकार आकर जब एक मंच पर पहुॅंचे तो लोक नृत्य की गंगा, संगीत की यमुना और लोक संस्कृति की सरस्वती का मानों संगम हो उठा। राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, गुजरात, झारखंड, जम्मू और कश्मीर, उत्तराखंड, नागालैंड, गोवा व अन्य राज्यों के कलाकारों ने एक धुन पर नृत्य कर भारत की इस धुन को जीवंत बना दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत मांगणियार गायन के साथ हुई। गाजी खान बरना उनके साथियों ने राजस्थानी संगीत की मनमोहक प्रस्तुती दी। रउफ ने पहाड़ी संस्कृति का सौंदर्य दर्शाया, भपंग वादन ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। नागालैंड का हाॅर्नबिल डांस कौतूहल का विषय बना। राजस्थान की पहचान घूमर, फिर गुजरात के मिश्र रास और गोवा का वीरभद्र नृत्य पेश हुआ। वीरभद्र पौराणिक पृष्ठभूमि का नृत्य है। झारखंड के पुरुलिया छाउ नृत्य में महिषासुर मर्दिनी प्रसंग का वर्णन किया गया। पंजाब के भांगड़ा, गुजरात के सिद्धि गोमा के बाद हुए डांस ऑफ फिनाले ने तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। मध्यवर्ती से पारंपरिक परिधानों में वाद्य यंत्रों की धुन पर नृत्य करते हुए कलाकारों की भव्य शोभा यात्रा आगंतुकों से आबाद शिल्पग्राम में पहुॅंची। यहां हस्तशिल्प मेले में बड़ी संख्या में मौजूद लोग भारत के रंग में रंगी शोभायात्रा को एकटक देखते रह गए।

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